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धर्म और अध्यात्म

What did Shri Ram Ate : वनवास में श्रीराम, सीताजी और लक्ष्मण जी क्या खाते थे?

भगवान श्रीराम, सीताजी और लक्ष्मण जी वनवास के दौरान कैसे रहते थे, क्या खाते-पीते थे, इसका उत्तर वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट रूप से मिलता है. आइये कुछ तथ्यों पर नजर डालते हैं- […]

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धर्म और अध्यात्म

Sita Vanvas Valmiki Ramayan : श्रीराम को क्यों देना पड़ा था सीताजी को वनवास?

सीताजी के साथ भागीरथी की जलधारा तक पहुंचकर लक्ष्मण जी उसकी ओर देखते हुए दुःखी हो उच्च स्वर से फूट-फूटकर रोने लगे. लक्ष्मणजी को शोक से आतुर देख धर्मज्ञा सीताजी अत्यंत चिंतित हो उनसे बोलीं– “लक्ष्मण! यह क्या? तुम रो क्यों रहे हो? गंगा के तट पर आकर तो मेरी अभिलाषा पूर्ण हुई है.” […]

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Sita Vanvas Ramayan : श्री राम ने सीता जी को वनवास क्यों दिया?

और फिर श्रीराम और सीताजी को सदैव के लिए अलग-अलग करने का जो काम रावण जैसा इतना बड़ा राक्षस न कर सका, वह काम श्रीराम की प्रजा ने कर दिया. वही प्रजा जिसने बड़े आंसुओं के साथ 14 वर्षों तक श्रीराम का बेसब्री से इंतजार किया था, वही प्रजा जिसने श्रीराम के वापस लौटने पर उनका भव्य स्वागत किया था, दीपावली मनाई थी, उत्सव मनाया था. […]

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Shambuk Vadh in Valmiki Ramayana : श्रीराम ने शम्बूक का वध क्यों किया?

क्या वास्तव में श्रीराम ने शम्बूक का वध केवल इसलिए किया था क्योंकि वह एक शूद्र होकर तप कर रहा था? क्या और कोई कारण नहीं था? और क्या श्रीराम के राज्य में शंबूक ही एकमात्र शूद्र था? […]

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मेहनत या भाग्य : पुरुषार्थ या प्रारब्ध? दोनों में कौन है अधिक बलवान?

रघुनन्दन! पूर्वजन्म के तथा इस जन्म के पुरुषार्थं (कर्म) दो भेड़ों की तरह आपस में लड़ते हैं. उनमें जो भी बलवान्‌ होता है, वही दूसरे को क्षणभर में पछाड़ देता है. इस जन्म में किया गया प्रबल पुरुषार्थ अपने बल से पूर्वजन्म के पौरुष या दैव को नष्ट कर देता है और पूर्वजन्म का प्रबल पौरुष इस जन्म के पुरुषार्थ को अपने बल से दबा देता है. उन दोनों में जो अधिक बलवान्‌ होता है, वही विजयी होता है. […]

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Valmiki Ramayana Translation : ‘सीता के साथ दिन में बैठकर शराब पीते थे राम’

उत्तरकांड के 42वें सर्ग में अशोक वाटिका में श्रीराम और सीताजी को शराब और मांस ग्रहण करते हुए जश्न मनाते बता दिया गया है. क्योंकि इन …. […]

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Animal Sacrifice In Sanatan Dharm : सनातन धर्म में पशु बलि प्रथा कब से शुरू हुई?

एक घोड़े की बलि दी जाने लगी. घोड़े को भय से तड़पता देखकर महाराजा अग्रसेन को बेहद दया आई, साथ ही बहुत क्रोध भी आया. जब उनसे कहा गया कि यज्ञ में पशुबलि का विधान है, तब उन्होंने …. […]

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क्या प्राचीन भारत में कोई मनुष्य मांस नहीं खाता था? मांसाहार को लेकर क्या थे नियम?

ब्राह्मण ने व्‍याध से कहा- “तात! यह मांस बेचने का काम निश्‍चय ही तुम्‍हारे योग्‍य नहीं है. मुझे तो तुम्‍हारे इस घोर कर्म से बहुत संताप हो रहा है…” […]

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Meat Eating in Valmiki Ramayana : ‘श्री राम मांस खाते थे और चमड़ा पहनते थे’

“मैं जो यह मांस बेचने का व्‍यवसाय कर रहा हूं, वास्‍तव में यह अत्यंत घोर कर्म है, इसमें संशय नहीं है। किंतु ब्रह्मन्! दैव बलवान् है। पूर्वजन्‍म में किये हुए कर्म का ही नाम दैव है. यह जो कर्मदोषजनित व्‍याध के घर जन्‍म हुआ है, यह मेरे पूर्वजन्म में किये हुए पाप का ही फल है” […]

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Hanuman ji ka Roop : हनुमान जी का स्वरूप कैसा है? कपि या मनुष्य?

महर्षि अगस्त्य हनुमान जी की विशेषताओं का वर्णन करते हुए श्रीराम से कहते हैं- “संसार में ऐसा कौन है जो पराक्रम, उत्साह, बुद्धि, प्रताप, सुशीलता, मधुरता, नीति-अनीति, विवेक गंभीरता, चतुरता, उत्तम बल और धैर्य में श्रीहनुमान जी से बढ़कर हो.” […]