shri ram ramayan in world, valmiki ramayan mansahar sanskrit hindi shri ram charitmanas, shri ram ko 14 varsh ka vanvas
ब्लॉग
ramayana creative freedom, difference between valmiki ramayana and ramcharitmanas, valmiki ramayana, tulsidas ramcharitmanas, ramayana and ramcharitmanas difference, वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास जी की रामचरितमानस में अंतर
धर्म और अध्यात्म

श्रीराम द्वारा रावण वध की योजना, सीता जी की अग्नि परीक्षा

अगर रावण उस समय अपने पुत्र मेघनाद और सभा में बैठे अन्य चापलूसों की बात न मानकर, अपनी पत्नी मंदोदरी और अपने भाई विभीषण आदि की बात मान लेता, तो वह कुल सहित नष्ट न होता. […]

raja, king, manu, ganga, sagar, Krishnadevaraya, raja dashrath
ब्लॉग

Shri Ram ki Ayodhya : महाराज दशरथ के समय कैसी थी अयोध्या? क्या ‘आज’ से हो सकती है तुलना?

अयोध्या नगरी (Ayodhya) इंद्र की पुरी के समान बड़ी सुंदर ढंग से बसी हुई थी. उसके आठ कोने थे. बड़ी सुंदर लंबी-चौड़ी सड़कें बनी हुई थीं. नगरी की प्रधान सड़कें तो बहुत ही लंबी-चौड़ी थीं, जिन पर रोज सुगंधित फूल बिखेरे जाते थे. सड़कों के दोनों ओर सुंदर वृक्ष लगे हुए थे. […]

shri ram katha ki mahima, ram naam ki mahima, ram naam ki shakti, ram naam ka jap mahatva, shri ram raksha stotra
धर्म और अध्यात्म

Bali ka Vadh : भगवान श्रीराम द्वारा बाली का वध (क्यों और कैसे)

श्रीरामचरितमानस (Ramcharitmanas) में गोस्वामी तुलसीदास जी (Goswami Tulsidas) लिखते हैं कि, “श्रीराम का तीर लगने के बाद बाली व्याकुल होकर धरती पर गिर पड़ा, लेकिन प्रभु श्रीराम को आगे देखकर वह फिर उठ बैठा.” […]

ramayan prem katha, ramayan serial ram lakshman, ramayan serial ramanand sagar episode, uttar ramayan episode 16 ramanand sagar, bhavishya janna hai, ramayan sita vanvas episode, ramayan ram sita vanvas, arun govil sunil lahri, रामायण सीरियल रामानंद सागर, रामायण सीरियल राम लक्ष्मण संवाद, सीता वनवास
धर्म और अध्यात्म

‘रामायण’ के इस एपिसोड को देख यूजर्स ने कहा, ‘हम IAS Aspirants को श्रीराम से शिक्षा लेनी चाहिए’

श्रीराम लक्ष्मण जी से कहते हैं कि, “भविष्य को जानने के फेर में मत पड़ो, वर्तमान का जो धर्म या कर्तव्य है उसे निभाओ, भविष्य तो स्वयं ही नतमस्तक होकर तुम्हारे सामने आ जाएगा, क्योंकि होनी तो होगी ही, लेकिन तुम अपने धर्म या कर्तव्य पर दृढ़ रहो.” […]