Hand Mudras Therapy Benefits in Hindi (हस्त मुद्रा आसन)–
मानव शरीर अनगिनत रहस्यों से भरा पड़ा है. माना जाता है कि कई बड़ी बीमारियों का इलाज भी इसी शरीर में मौजूद है. प्राचीन समय में हमारे ऋषि-मुनियों ने इस बात को बहुत अच्छे से जान लिया था, इसीलिए पहले के जो लोग बिना सुख-सुविधाओं के जंगलों में या इधर-उधर कुटिया बनाकर भी रहते थे, उन्हें डॉक्टरों की बहुत ही कम जरूरत पड़ती थी, क्योंकि उस समय के लोगों का जीवन संतुलित था. आज के लोगों की तरह वे जल्द किसी बीमारी की चपेट में नहीं आ जाते थे, और यदि कोई बीमारी होती भी थी, तो वे उसे खुद ही ठीक कर लिया करते थे, या तो आसपास की जड़ी-बूटियों से या अपने शरीर में ही मौजूद गुणों या विशेषताओं से, जो आज के लोग कम ही जानते हैं.
जैसे- यदि किसी विषैले कीड़े ने काटा हो, तो यदि उस समय व्यक्ति के पास कोई दवा उपलब्ध नहीं हो सकती या तुरंत कोई बाहरी इलाज नहीं मिल सकता, तो ऐसे में उस जगह पर अगर अपनी लार (Saliva) लगा ली जाए, तो उस कीड़े के जहर का असर कम किया जा सकता है. यानी हमारे शरीर की समस्याओं या बीमारियों का इलाज काफी हद तक हमारे शरीर में ही मौजूद है, बस हम उन्हें जानते नहीं.
इन पांचों तत्वों में होना चाहिए संतुलन
हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश. जब शरीर के इन तत्वों में असंतुलन आ जाता है तो बीमारियां पैदा होती हैं. इन पांचों तत्वों के संतुलन के लिए ही योग और आसन का सहारा लिया जाता है. ‘हस्त-मुद्रा चिकित्सा’ (Hast Mudra Treatment) इसी का नाम एक प्रकार है, जिनके अनुसार हाथों की उंगलियों से बनने वाली मुद्राओं से कई बड़ी बीमारियां दूर की जा सकती हैं. इन मुद्राओं में ही आरोग्य का राज छिपा हुआ है. हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले ही इसकी खोज कर ली थी और इसे वे हर रोज इस्तेमाल में भी लाते थे, जिससे वे स्वस्थ भी रहते थे.
हस्त मुद्राओं का शरीर पर असर
नृत्य को एक आसन या योग माना गया है, क्योंकि उसमें भी कई तरह की मुद्राएं बनाई जाती हैं. इससे शरीर की सभी नसों और नाड़ियों पर असर पड़ता है. हस्त मुद्राएं तुरंत ही असर करना शुरू कर देती हैं. जिस हाथ में ये मुद्राएं बनाई जाती हैं, शरीर के विपरीत भाग में उनका तुरंत असर होना शुरू हो जाता है.
कैसे किया जाता है- इन सभी मुद्राओं का इस्तेमाल करते समय वज्रासन, पद्मासन या सुखासन में बैठना चाहिए. इन मुद्राओं को हर रोज 30 से 45 मिनट तक करने से पूरा लाभ मिलता है. यदि एक बार में न कर सकें तो दो से तीन बार में भी किया जा सकता है. किसी भी मुद्रा को करते समय जिन उंगलियों का कोई काम न हो, उन्हें सीधा रखा जाता है. ज्ञान मुद्रा को छोड़कर बाकी मुद्रा आसनों को लाभ हो जाने तक ही करें.
किस अंगुली का संबंध किस तत्व से?
अंगूठे के बाद वाली अंगुली को तर्जनी, बीच की सबसे बड़ी अंगुली को मध्यमा, मध्यमा के बाद वाली अंगुली को अनामिका और सबसे छोटी अंगुली को कनिष्ठा कहते हैं. अंगूठे का संबंध अग्नि से होता है. तर्जनी का संबंध वायु या हवा से, मध्यमा का संबंध आकाश से, अनामिका का संबंध पृथ्वी से और कनिष्ठा का संबंध जल तत्व से होता है. वैसे तो मुद्राएं बहुत हैं लेकिन हम यहां आपको कुछ प्रमुख मुद्राओं और उनके फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं-
ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra)
अंगूठे को तर्जनी (सबसे आगे की अंगुली) अंगुली के सिरे पर लगा दें और बाकी तीनों उंगलियों को सीधा रखें.
फायदे (Benefits)- ये सबसे प्रमुख मुद्रा है, जो हर व्यक्ति को सामान्य रूप से करना ही चाहिए. इस मुद्रा से याददाश्त तेज होती है और बुद्धि का विकास होता है. इस हस्त मुद्रा (hand mudras therapy) से एकाग्रता बढ़ती है और पढ़ाई में मन लगता है. सिर दर्द दूर होता है और अनिद्रा या नींद ना आने की समस्या भी दूर होती है. चिड़चिड़ापन या गुस्सा कम होता है, साथ ही आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है.
पृथ्वी मुद्रा (Prithvi Mudra)
अनामिका अंगुली को अंगूठे से लगा कर रखें और बाकी तीनों अंगुलियों को सीधा रखें.
फायदे (Benefits) – इस मुद्रा के इस्तेमाल से दुबलापन दूर होता है और शरीर में स्फूर्ति के साथ-साथ चमक भी आती है. अगर कोई कुपोषण का शिकार है तो उसका वजन बढ़ सकता है, साथ ही विटामिन की कमी को दूर होती है. इस मुद्रा से पाचन क्रिया भी ठीक होती है और दिमाग शांत होता है.
सूर्य मुद्रा (Surya Mudra)
अनामिका अंगुली को अंगूठे के मूल पर लगाकर दबाएं. बाकी अंगुलियों को सीधा रखें.
फायदे (Benefits)-इस हस्त मुद्रा (hand mudras therapy) से शरीर संतुलित रहता है. वजन घटता है और मोटापा कम होता है. तनाव या स्ट्रेस में कमी आती है और ताकत बढ़ती है. ब्लड कोलेस्ट्रॉल कम होता है, साथ ही डायबिटीज और लिवर से जुड़ी समस्याएं भी दूर हो सकती हैं.
वायु मुद्रा (Vayu Mudra)
तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे के मूल में लगाकर हल्का दबाएं और बाकी अंगुलियों को सीधा रखें.
फायदे (Benefits)- गैस की समस्या दूर होती है. लकवा, साइटिका, गठिया, जोड़ों में दर्द, गर्दन का दर्द, रीढ़ की हड्डी का दर्द, घुटने का दर्द आदि में आराम होता है.
आकाश मुद्रा (Akash Mudra)
मध्यमा अंगुली को अंगूठे के सबसे आगे के भाग से मिलाएं और बाकी अंगुलियों को सीधा रखें.
फायदे (Benefits) – इस हस्त मुद्रा (hand mudras therapy) से कान के सभी तरह के रोग जैसे बहरापन आदि दूर होते हैं. हड्डियों की कमजोरी दूर होती है और हृदय रोगों में भी लाभ मिलता है.
शून्य मुद्रा (Shoonya Mudra)
मध्यमा अंगुली को मोड़ कर अंगूठे की मूल से लगाकर दबाएं. बाकी अंगुलियों को सीधा रखें.
फायदे- कान की सभी तरह की बीमारियां दूर होती हैं. मसूड़े भी मजबूत बनते हैं. गले से जुड़ी बीमारियां और थायराइड में भी फायदा होता है.
प्राण मुद्रा (Pran Mudra)
सबसे छोटी और अनामिका अंगुलियों को अंगूठे के सबसे आगे के भाग से मिलाएं और बाकी दोनों अंगुलियों को सीधा रखें.
फायदे- इस मुद्रा से दुबलापन दूर होता है और शरीर की कमजोरी से भी छुटकारा मिलता है. ये मुद्रा मन को शांत करती है और आंखों से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करके रोशनी बढ़ा सकती है. इस मुद्रा से इम्युनिटी पावर भी बढ़ती है और विटामिन की कमी दूर होती है. इस मुद्रा से शरीर की थकान उतरती है और स्फूर्ति आती है.
वरुण मुद्रा (Varun Mudra)
सबसे छोटी अंगुली को अंगूठे से लगाकर मिलाएं और बाकी अंगुलियों को सीधा रखें.
फायदे- इस मुद्रा से भी शरीर की चमक बढ़ती है. रूखापन या त्वचा की खुश्की दूर होती है और त्वचा चमकीली और कोमल बनती है, साथ ही त्वचा से जुड़ीं कई समस्याएं या बीमारियां दूर होती हैं. इस मुद्रा से मुहासे या पिंपल्स की समस्या भी दूर हो सकती है, लेकिन जिन लोगों को कफ की समस्या ज्यादा रहती है, वे इस मुद्रा का इस्तेमाल ना करें.
अपान मुद्रा (Apaan Mudra)
मध्यमा और अनामिका अंगुलियों को अंगूठे के सबसे आगे के भाग से मिलाएं.
फायदे- ये मुद्रा शरीर और नाड़ी की शुद्धि करती है और कब्ज और गैस की समस्या भी दूर करती है. इस मुद्रा से बवासीर की समस्या भी दूर होती है, यानी ये मुद्रा पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए उपयोगी है. इससे दांत भी मजबूत होते हैं, क्योंकि दातों की ज्यादातर समस्याएं पेट की समस्याओं की वजह से ही होती हैं. इस मुद्रा से हृदय रोगों में भी आराम हो सकता है.
हृदय रोग मुद्रा (Hast Rog Mudra)
तर्जनी अंगुली को अंगूठे के मूल में लगाएं और मध्यमा और अनामिका अंगुलियों को अंगूठे के सबसे आगे के भाग से लगाएं. सबसे छोटी अंगुली को सीधा रखें.
फायदे- इस हस्त मुद्रा (hand mudras therapy) से पेट में गैस की समस्या दूर होती है, साथ ही सिर दर्द और दमे की समस्या में भी लाभ हो सकता है. जिन लोगों के दिल कमजोर है, उन्हें ये मुद्रा करनी चाहिए. ये मुद्रा हृदय को मजबूत बनाती है और दिल के दौरे के खतरे को भी कम करती है.
लिंग मुद्रा (Ling Mudra)
दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में मिला लें और मुट्ठी बांध लें. बाएं हाथ के अंगूठे को सीधा खड़ा रखें.
फायदे- इस हस्त मुद्रा (hand mudras therapy) से शरीर में गर्मी बढ़ती है और सर्दी-जुकाम, दमा, खांसी, साइनस, कम ब्लड प्रेशर और कफ की समस्या दूर होती है, साथ ही लकवा में भी आराम हो सकता है, लेकिन इस मुद्रा को बहुत लंबे समय तक ना करें.
स्वास्थ्य और आहार से जुड़ीं महत्वपूर्ण बातें
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