Shri Mahalaxmi Temple Mumbai : अरब सागर के तट पर स्थित दिव्य महालक्ष्मी मंदिर

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महालक्ष्मी मंदिर मुंबई (Mahalaxmi Temple Mumbai)

Shree Mahalaxmi Temple Mumbai

मुंबई के सबसे प्राचीन धर्मस्थलों में से एक महालक्ष्मी मंदिर (Mahalaxmi Temple, Mumbai) शहर के प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है. भुलाभाई देसाई रोड (Bhulabhai Desai Road) पर स्थित महालक्ष्मी मंदिर में देवी लक्ष्मी अपनी दो बहनों देवी महाकाली और देवी महासरस्वती जी के साथ विराजमान हैं. तीनों देवियों को सोने और मोतियों के सुंदर आभूषणों से सजाया जाता है.

यह मंदिर अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला और जटिल डिजाइन के लिए भी प्रसिद्ध है. अरब सागर (Arabian Sea) के बेहद खूबसूरत नजारे के साथ महालक्ष्मी मंदिर मुंबई के व्यस्त मेट्रो जीवन के बीच शांति का निवास स्थान है. यहां आने वाले बहुत से भक्तों का यह विश्वास है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना खाली नहीं जाती.

महालक्ष्मी मंदिर, मुंबई का इतिहास
(Mahalaxmi Temple Mumbai History)
1771 से स्थापित इस तीर्थस्थल को लेकर कई लोककथाएं हैं. कहा जाता है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा तीनों देवियों की मूर्तियों को बचाने के लिए उन्हें वर्ली क्रीक के पास अरब सागर में विसर्जित कर दिया गया था. बाद में ब्रिटिश शासन के दौरान, अंग्रेजों ने महालक्ष्मी क्षेत्र को वर्ली क्षेत्र से जोड़ने के लिए ब्रीच कैंडी मार्ग बनाने की योजना बनाई. इस कार्य का ठेका लॉर्ड हॉर्नबी और इंजीनियर श्री रामजी शिवाजी प्रभु को दिया गया.

निर्माण कार्य शुरू किया गया. लेकिन जैसे जी निर्माण में कुछ प्रगति होती, समुद्र की तूफानी लहरों से बना बांध टूट जाता, जिसके बाद निर्माण कार्य फिर शुरू करना पड़ता. यह सिलसिला इसी तरह कई महीनों तक चलता रहा. रामजी शिवाजी प्रभु ने अपने साथियों के साथ कई बार कोशिश की लेकिन लहरों के कारण खाड़ियों को जोड़ने में असफल रहे.

एक रात देवी महालक्ष्मी जी रामजी शिवाजी प्रभु के सपने में प्रकट हुईं और उन्हें वर्ली की खाड़ी से विसर्जित मूर्तियों को बाहर लाने और उन्हें एक पहाड़ी की चोटी पर स्थापित का निर्देश दिया. अगले दिन, रामजी ने देवी की पुरानी कहानी के बारे में जानकारी जुटाई और फिर अपने इस सपने के बारे में हॉर्नबी को बताया, साथ ही समुद्र में देवी की मूर्ति की खोज करने की अनुमति मांगी.

हॉर्नबी को रामजी की यह बात मात्र एक कहानी लगी और उसे विश्वास नहीं हुआ. लेकिन चूंकि कार्य पूरा नहीं हो रहा था. लागत बढ़ती जा रही थी. निलंबन की तलवार लटक रही थी क्योंकि हॉर्नबी ने अपना काम शुरू कर दिया था. वह कुछ भी करके इस बांध को पूरा करना चाहता था और इसलिए उसने बिना कुछ बोले शिवाजी को देवी की मूर्ति की खोज करने की अनुमति दे दी.

रामजी शिवाजी ने इसी दिशा में प्रयास शुरू कर दिया. उनके स्वप्न के अनुसार उन्हें वास्तव में समुद्र से महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की तीन महान प्रतिमाएं मिलीं… और उसी के बाद वे पुल का निर्माण करने में सक्षम हो पाए और वर्ली बांध बिना किसी रुकावट के बनकर तैयार हो गया. बाद में उन्होंने पहाड़ी पर मंदिर का निर्माण किया. हॉर्नबी यह सब देखकर बेहद आश्चर्यचकित था, क्योंकि वह वही सब कुछ होते हुए देख रहा था, जैसा कि रामजी ने अपने सपने वाली बात में उसे बताया था.

परब्रह्म की सर्वोच्च शक्ति हैं महालक्ष्मी जी
महालक्ष्मी मंदिर मुंबई में आदि शक्ति के तीन अलग-अलग अवतार हैं. बुराई का नाश करने वाली श्री महाकाली या माँ दुर्गा, धन और समृद्धि की देवी श्री महालक्ष्मी और ज्ञान की देवी श्री सरस्वती. यहां देवी महालक्ष्मी एक बाघ पर आरूढ़ हैं.

देवी महालक्ष्मी जी परब्रह्म की सर्वोच्च शक्ति हैं. उन्हें आदि शक्ति भी कहा जाता है. उन्हें पारलौकिक शक्ति या ‘परा शक्ति’ और महामाया शक्ति की महान शक्ति के रूप में भी जाना जाता है. विश्व माया की सर्वोच्च रहस्यमय शक्ति, जिसे हम माया और आद्यशक्ति कहते हैं, वास्तव में एक ही हैं.

महालक्ष्मी मंदिर मुंबई समय
(Mahalaxmi Temple Mumbai Timings)
अद्वितीय हिंदू अनुष्ठान- महालक्ष्मी मंदिर मुंबई अद्वितीय हिंदू अनुष्ठानों को देखने के लिए एक आदर्श स्थान है, जहां पवित्र मंत्र यहां एक पवित्र वातावरण बनाते हैं. हवन की पवित्र अग्नि मन को शुद्ध करती है. नियमित पूजा के अलावा, भक्त मंदिर परिसर के भीतर विशेष हवन की व्यवस्था कर सकते हैं.

महालक्ष्मी मंदिर में प्रतिदिन अभिषेक किया जाता है. अर्चना भी मंदिर में नियमित पूजा का एक हिस्सा है. मंदिर ट्रस्ट द्वारा प्रत्येक ‘अष्टमी’ को मासिक हवन किया जाता है. भक्त अपने इच्छित दिन पर महापूजा जैसे हवन का अनुरोध कर सकते हैं.

मंदिर में भक्तों की भीड़- महालक्ष्मी मंदिर में हर दिन हजारों भक्त आते हैं और नवरात्रि, दीपावली, अन्नकूट और मार्गशीर्ष के महीने में यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है. इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ को संभालने के लिए, मंदिर समिति की तरफ से विशेष व्यवस्था की जाती है.

इन प्रमुख त्योहारों के अलावा मंदिर में दुर्गा अष्टमी, वट पूर्णिमा, पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, नाग पंचमी और गौरी पूजन भी विशेष कार्यक्रमों में शामिल हैं. शुक्रवार का दिन दर्शन के लिए विशेष दिन होता है.

मंदिर में दर्शन और पूजा- मुंबई में दिन की शुरुआत होते ही भक्त मंदिर में इकट्ठा होने लगते हैं. मंदिर परिसर घंटियों की आवाज, धूप की सुगंध और ताजे फूलों से भर जाता है. दिन में तीन बार आरती की जाती है. सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक मंदिर में दर्शन किए जा सकते हैं. महालक्ष्मी मंदिर मुंबई में कोई प्रवेश शुल्क नहीं है.

मंदिर परिसर के भीतर फोटोग्राफी की भी अनुमति नहीं है. मंदिर के दोनों ओर भीड़भाड़ वाले स्टालों पर आप पूजा के लिए जरूरी सभी सामान प्राप्त कर सकते हैं. फूल, माला, पूजा के सामान से लेकर अगरबत्ती और मिठाई तक सब कुछ यहां मिलता है.

महालक्ष्मी मंदिर मुंबई कैसे पहुंचे-
(How to reach Mahalaxmi Temple Mumbai)
मुंबई महानगर के केंद्र में स्थित, महालक्ष्मी मंदिर मुंबई शहर के सभी हिस्सों से और देश के अन्य शहरों से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है. कम लागत वाली बसों से लेकर प्रीमियम कैब तक, महालक्ष्मी मंदिर तक परिवहन आसान है.
By Air- महालक्ष्मी मंदिर मुंबई का निकटतम हवाई अड्डा छत्रपति शिवाजी एयरपोर्ट है, जो मंदिर से 14 किमी की दूरी पर स्थित है.
By Train- मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन महालक्ष्मी रेलवे स्टेशन है. मंदिर रेलवे स्टेशन के 1 किमी के भीतर स्थित है.
By Road- महालक्ष्मी मंदिर तक पहुंचने के लिए BEST बसें और कैब सबसे सुविधाजनक सड़क परिवहन हैं.

मुंबई भारत के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक होने के कारण महालक्ष्मी मंदिर के पास हर बजट और प्रीमियम में होटल, लॉज आदि उपलब्ध हैं. मंदिर के पास हर बजट में भोजनालय और शानदार रेस्टोरेंट्स उपलब्ध हैं. मंदिर में परोसे जाने वाले प्रसाद के अलावा, महालक्ष्मी मंदिर मुंबई के पास कई फूड स्टॉल हैं. ज्यादातर भोजनालय शाकाहारी ही हैं.

महालक्ष्मी मंदिर अपने क्लासिक परिवेश के साथ आपको एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है, जो मुंबई शहर की चमक से काफी अलग है. लेकिन अगर मुंबई आए हैं तो महालक्ष्मी मंदिर के साथ-साथ ढकलेश्वर मंदिर, काली माता मंदिर, परम रामेश्वरम महादेव मंदिर, त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर आदि प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करना भी न भूलें.

देखें – श्री सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई


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About Sonam Agarwal 238 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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