आर्थिक समस्याओं को दूर करने या धन प्राप्ति के कारगर उपाय और महत्वपूर्ण बातें

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आर्थिक समस्याओं को दूर करने या धन प्राप्ति के कारगर उपाय और महत्वपूर्ण बातें

Lakshmi Dhan prapti ke upay-

‘पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में माया’… किसी भी व्यक्ति के लिए धन का उतना ही महत्त्व है, जितना कि स्वास्थ्य का. कई जगहों पर दरिद्रता को सबसे बड़ा दुःख बताया गया है. यही वह दुख है, जिसके लिए संसार में बहुत पाप होते हैं तो बहुत सारे पुण्य भी होते हैं. अपने जीवन से आर्थिक समस्याओं को खत्म करने और धन को पाने के कई रास्ते हैं, जिनमें से सबसे बड़ा रास्ता है कर्मों का, यानी मेहनत का.

जीवन में मुफ्त में कुछ नहीं मिलता. कुछ बड़ा पाने के लिए व्यक्ति को अपनी कोई न कोई पूंजी तो लगानी ही पड़ती है. वह पूंजी धन, श्रम, पुण्य आदि किसी भी तरह की हो सकती है. अब अगर इसी मेहनत के साथ-साथ देवी-देवताओं को भी प्रसन्न कर लिया जाए, तो और भी बेहतर. जैसे महर्षि अगस्त्य ने भगवान श्रीराम को आदित्य हृदय स्त्रोत (Aditya Hriday Stotra) का ज्ञान देते हुए कहा था कि “अगर आप रोज इस स्तोत्र का पाठ करेंगे, तो युद्ध में आपकी विजय निश्चित है”.

यहां महर्षि अगस्त्य का मतलब ये नहीं है कि बिना युद्ध लड़े, या बिना युद्ध की तैयारी किए, या बिना प्रैक्टिस किए, केवल पाठ करने से ही विजय मिल जाएगी. मेहनत के साथ-साथ किसी भी धार्मिक कार्य को करने का मतलब ये होता है कि आपको अपने कार्य में अदृश्य शक्तियों (जो इस समस्त संसार को चला रही हैं) का आशीर्वाद या उनका बल या उनकी पॉजिटिव एनर्जी भी मिलने लगती है. इससे कार्य में सफलता की संभावना बहुत बढ़ जाती है.

जीवन में धन की कमी या सम्पन्नता पूर्व जन्मों के कर्मों से होती है. कुंडली का पांचवा खाना व्यक्ति के पूर्वजन्म के कर्मों का होता है. अगर इस खाने का स्वामी कमजोर होता है, तो इसका मतलब कि पूर्वजन्म में व्यक्ति के कर्म अच्छे नहीं रहे हैं. व्यक्ति के जन्म के समय बनी सही कुंडली एक तरह से व्यक्ति के पूर्वजन्मों का रिजल्ट होता है. इसके बाद वह व्यक्ति वर्तमान जन्म में अपने कर्मों से अपने इस रिजल्ट में सुधार कर सकता है.

जानिए- क्या एक धार्मिक उपाय करने से बन जाते हैं बिगड़े काम? अगर हां तो कैसे?

आज हम जीवन से आर्थिक समस्याओं को दूर करने के कुछ सरल कार्यों पर चर्चा करेंगे-

आर्थिक समस्याओं को दूर करने या धन प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी जी की पूजा-

♦ धन और संपत्ति की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी जी (Maa Devi Lakshmi ji) है. मां लक्ष्मी जी की उत्पत्ति या जन्म रत्नाकर या समुद्र से मानी जाती है. महालक्ष्मी जी भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu ji) की पत्नी हैं, इसलिए इन्हें ‘विष्णुप्रिया’ कहा जाता है. मां लक्ष्मी जी की सच्चे मन से पूजा-उपासना करने से जीवन में सुख-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

♦ हालांकि, धन तो कुबेर की पूजा करने से भी मिलता है, लेकिन धन के साथ-साथ स्वास्थ्य, खुशियां, यश-सम्मान आदि की प्राप्ति महालक्ष्मी जी की कृपा से ही होती है. अगर दीपावली के साथ साथ नियमित रूप से महालक्ष्मी जी की विधिवत पूजा की जाए, तो धन की समस्या नहीं हो सकती है.

♦ लेकिन महालक्ष्मी जी की पूजा भगवान विष्णु जी की पूजा के बिना नहीं की जाती है. लक्ष्मी जी भगवान विष्णु जी से ही पूर्ण होती हैं, इसलिए इनकी पूजा अकेले नहीं की जाती है. भगवान विष्णु जी की पूजा पहले करें और उसके बाद बाहर लक्ष्मी जी की पूजा करें या दोनों की साथ-साथ पूजा करें.

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लक्ष्मी जी की तस्वीर कैसी होनी चाहिए- हमेशा मां लक्ष्मी जी की पूजा उसी मूर्ति या तस्वीर की करें, जिसमें वह गुलाबी कमल पर बैठी हुई हों, एक हाथ से आशीर्वाद दे रही हों और दूसरे हाथ से धन बरसा रही हों. इसी के साथ अगर चित्र में दो हाथी अपनी सूंड से जल गिरा रहे हों तो और भी बेहतर.

♦ मां लक्ष्मी जी की पूजा अगर गुलाबी या सफेद वस्त्र पहनकर की जाए, तो बहुत अच्छा. लेकिन कोई भी पूजा काले कपड़े पहनकर न करें.

♦ शुक्रवार को लक्ष्मी जी की पूजा-उपासना जरूर करनी चाहिए. मां लक्ष्मी जी की पूजा का सबसे उत्तम समय गोधूलि बेला यानी जब सूर्य अस्त हो रहा हो, या मध्यरात्रि में रात 11 बजे से 1 बजे तक के बीच में करना सबसे ज्यादा फलदाई होती है.

♦ चूंकि जब धन आता है, तो यह अच्छे-अच्छों की बुद्धि खराब कर सकता है, इसलिए धन आने पर बुद्धि पर अंकुश बनाए रखने के लिए और धन का सही उपयोग होते रहने के लिए मां लक्ष्मी जी के साथ भगवान गणेश जी और मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है.

मां लक्ष्मी जी की सामान्य पूजा कैसे करें-
(Maa Lakshmi ki puja kaise kare)

शुक्रवार को या पूर्णिमा के दिन पूजा-स्थान पर मां लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. लक्ष्मी जी के दाहिनी तरफ भगवान विष्णु जी को और लक्ष्मी जी के बाईं तरफ भगवान गणेश जी को स्थापित करना चाहिए.

स्नान आदि करके महालक्ष्मी जी के चित्र या मूर्ति के सामने बैठें. भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की स्तुति करें. लक्ष्मी जी को गुलाब का इत्र, या गुलाबी कमल, या गुलाबी फूल या गुलाब के फूल, या गुलाब की माला, या गुलाब की पंखुड़ियां अर्पित करें. उन्हें मिश्री का भोग लगाएं.

इसके बाद उनके सामने घी का एक मुखी दीपक जलाएं और फिर स्फटिक की माला से इस मंत्र का 108 बार जप करके अपनी मनोकामना कहें और प्रार्थना करें-
Lakshmi ji ka Mantra-  ‘ॐ श्रीं श्रीयै नम:’
यह मां लक्ष्मी जी का बेसिक मंत्र या मूल मंत्र माना जाता है. अगर पूजा के बाद शंख भी बजाया जाए तो और भी बेहतर.

कारोबार करने वाले लोग अगर लक्ष्मी जी की पूजा नियमित रूप से अपने कार्यालय में भी करें, तो यह बिजनेस के लिए बहुत अच्छा होता है.

♦ अगर आप रोज सुबह उठते ही अपने पलंग पर बैठे-बैठे ही 9 बार ‘श्रीं का जप करके पलंग से उतरें, तो इससे घर में धन संबंधी समस्याएं नहीं रहती हैं. यह मंत्र तीन अक्षरों से मिलकर बना है और यह मां लक्ष्मी जी का सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है.

जानिए- महालक्ष्मी जी के जन्म और विवाह की कथा


जीवन को खुशहाल बनाने वाली कुछ कारगर आदतें-

(1) सबसे पहली बात कि अगर बहुत ज्यादा मजबूरी न हो, तो व्यक्ति को सूर्योदय से पहले ही सोकर उठ जाना चाहिए. एक कहावत है कि “सूर्योदय के बाद भी केवल आलस्य के कारण बिस्तर पर पड़े रहने वाले व्यक्ति की लक्ष्मी चली जाती है, फिर चाहे वह चक्रवर्ती राजा ही क्यों न हो”. आप इतिहास में किसी भी महान व्यक्ति के बारे में जान लें, वे सभी सूर्योदय से पहले ही सोकर उठते थे.

(2) रोज सुबह स्नान करके सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य दें, यानी सूर्य को जल अर्पित करें. जल अर्पित करने के बाद सूर्य के किसी प्रमुख मंत्र का जप करें. जो लोग ये काम अगर सर्दियों में न कर सकें, तो गर्मियों में तो रोज करने की कोशिश जरूर करें.

अगर आप जीवन में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं, अपनी आकर्षण क्षमता बढ़ाना चाहते हैं, अच्छा बोलना चाहते हैं और लोगों को अपनी वाणी से प्रभावित करना चाहते हैं, तो रोज सुबह सूर्य को जल अर्पित करके उनके किसी भी मंत्र का जप करें.

जानिए सूर्य को अर्घ्य देने या जल देने के नियम, विधि और फायदे

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(3) अगर हो सके तो रोज सुबह पीपल और तुलसी की पूजा भी जरूर करें. रोज सुबह सूर्योदय के समय पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करने से घर में धन की समस्या नहीं रहती है. इसके बाद पीपल के वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करें और से भगवान को प्रणाम करते हुए वृक्ष के नीचे खड़े होकर अपनी प्रार्थना करें. पीपल के वृक्ष के नीचे की गई पूजा-उपासना या मंत्र-जप आदि का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है.

(4) जहां तक बहुत मजबूरी न हो, हरे-भरे पेड़-पौधे कभी न काटें, क्योंकि ऐसा करने से जीवन में कभी न कभी धन का नुकसान सहना पड़ता है. वहीं, अगर पीपल, बरगद, नीम, अशोक, आम आदि के पौधे लगाए या लगवाए जाते हैं और उनकी देखभाल कर उन्हें बड़ा किया जाता है, तो जीवन में कभी धन का अभाव नहीं होता है.

(5) घर के मंदिर को साफ-सुथरा रखना चाहिए. जिन घरों में भगवान की पूजा-उपासना या प्रार्थना नहीं होती, या जिन घरों में भगवान का अपमान होता है, या धूप-दीप नहीं जलते, या आरती और घंटों की आवाज नहीं होती, ऐसे घरों में धन आने की संभावना कम ही होती है और अगर किसी तरह धन आ भी जाता है, तो वह लाभ नहीं पहुंचाता. ऐसे लोगों का धन ज्यादातर बीमारियों या मुकदमों में खर्च हो जाता है.

(6) घर में अनुपयोगी वस्तुओं या कूड़े-कबाड़ को समय-समय पर हटाते रहे. इन्हें ज्यादा समय के लिए घर में न रखें. जिन पुराने जूते-चप्पलों का प्रयोग आप बिल्कुल नहीं करते हैं, या आगे भी नहीं करना है, तो उन्हें घर में बिल्कुल न रखे.

(7) हर मंगलवार की रात को हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का 11 बार पाठ करना बहुत अच्छा माना जाता है, लेकिन हनुमान जी की पूजा-उपासना से पहले भगवान श्रीराम की स्तुति करना अनिवार्य है.

(8) घर में सूर्य का प्रकाश आने की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए. घर में किसी नल से बेवजह पानी टपक रहा हो, तो उसे तुरंत ठीक करवा देना चाहिए, क्योंकि प्रकृति की तरफ से सभी के लिए दी गईं जरूरी चीजों का उपयोग तो करना चाहिए, लेकिन बर्बाद नहीं करना चाहिए.

(9) खाना खाने के बाद जूठे बर्तन इधर-उधर न रखें. उन्हें ठीक जगह पर ही रखें, फिर चाहे पानी का जूठा गिलास या चाय का जूठा कप ही क्यों न हो.

(10) घर की महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार होना चाहिए, फिर चाहे वह माता हो, या बहन, या पत्नी, या बेटी. जिस घर में महिलाओं का आदर नहीं होता, उस घर में पॉजिटिव एनर्जी नहीं आ पाती है.


अन्य बातें-

ज्योतिष में महालक्ष्मी जी की कृपा का संबंध शुक्र ग्रह से जोड़ा जाता है. यानी अगर कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है, तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति पर मां लक्ष्मी जी की कृपा है. शुक्रवार को मध्य रात्रि में की गई महालक्ष्मी जी की पूजा विशेष फलदाई होती है.

महालक्ष्मी जी का 8 शुक्रवार का व्रत- इस दौरान अष्टलक्ष्मी स्वरूप की उपासना की जाती है. इस व्रत वाले दिन दिनभर केवल जल और फल ग्रहण करना चाहिए, यानी शाम को भी अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. शुक्रवार को मध्यरात्रि में महालक्ष्मी जी के चित्र या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाकर और उनके मंत्र का कम से कम 108 बार या 11 माला जप करना चाहिए.

अपने रुके हुए या फंसे हुए धन को प्राप्त करने के लिए-

• रोज सुबह स्नान करके एक लोटा जल में लाल मिर्च के कुछ बीज डाल दें और इस जल से भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद भगवान सूर्य के मंत्रों का जप करने के बाद उनसे अपनी मनोकामना कहें. सूर्य को रोजाना सादा जल से अर्घ्य देने से लगभग हर तरह की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.

• हर मंगलवार को हनुमान जी को एक मीठा पान अर्पित करें, जिसमें सुपारी-तंबाकू आदि बिल्कुल न हो. हनुमान जी के सामने बैठकर श्रीराम की स्तुति करें और फिर हनुमान चालीसा का पाठ करें.

नोट- यह लेख एक प्रसिद्ध ज्योतिष पंडित की सलाह पर आधारित है.

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