Potato : सब्जियों का राजा है आलू, जानिए सेहत और सुंदरता के लिए आलू के फायदे और इस्तेमाल

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आलू के फायदे और नुकसान

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भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर की रसोई में जितना इस्तेमाल आलू (Potato or Aloo) का होता है, उतना तो शायद किसी भी सब्जी का नहीं होता. शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो ये कहे कि उसे आलू की सब्जी पसंद नहीं. और सब्जी ही नहीं, आलू की तो इतनी रेसिपी बनाई जा सकती हैं, जिन्हें गिना भी नहीं जा सकता. जब भी किचन में कुछ समझ नहीं आता, वहां आलू ही सहारा बनता है. गरीब हो या अमीर, आलू का सेवन तो सभी करते हैं और इसीलिए इसे ‘अनाज के पूरक आहार’ का स्थान दिया गया है. किसी ने आलू को ‘सब्जियों का राजा’ तो किसी ने इसे ‘दूसरी रोटी’ भी कहा है.

क्या-क्या बनाया जा सकता है आलू से?

आप ही सोचिए कि आप आलू का क्या-क्या (Potato Recipes) बना सकते हैं, या आपने अब तक आलू की कौन-कौन सी रेसिपी का मजा लिया है. एक तो आलू लगभग हर सब्जी के साथ जुड़ जाता है, इसीलिए इसकी अनेकों तरह की सब्जियां बन जाती हैं. और चाट तो आलू के बिना अधूरी है.

आलू से भाजियां, समोसे, गोल-गप्पे, स्नैक्स, चिप्स, पापड़, भजिया, पकौड़े, बड़े, बड़ापाव, टिक्की, कचौड़ी, चोखा, हलवा, खीर, सैंडविच, परांठे, रोटी, रायता सब बनाए जा सकते हैं. और इनमें से कुछ भी न बना सकें, तो ऐसे ही आलू को भूनकर हरी चटनी और मक्खन के साथ खाएं…. किसी और स्वाद की याद ही नहीं आएगी. आज हम आलू से जुड़ी कई बातों और इसके फायदों के बारे में जानते हैं.

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फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया

आलू की पैदावार (Potato production)

आलू का इस्तेमाल तो लगभग हर घर में होता है, इसलिए गेहूं, धान और मक्का के बाद यह देश में उगाई जाने वाली सबसे प्रमुख फसल है. इसकी पैदावार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में होती है. कुछ लोगों का कहना है कि पूरी दुनिया में आलू अमेरिका से आया है. वहीं से यूरोप होता हुआ यह भारत आया है. हालांकि, भारत में प्राचीन काल से ही या हजारों साल से ही आलू की खेती होती आ रही है और लोग इसे खाते आ रहे हैं. पश्चिमी देशों में तो आलू प्रमुख आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

आलू लगभग हर तरह की जमीन में होते हैं. भारत में आलू की अच्छी-खासी पैदावार होती है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में आलू की खेती काफी मात्रा में होती है और किसान भी इसकी खेती से अच्छा-खासा लाभ कमाते हैं, हालांकि ज्यादा पैदावार कभी-कभी किसानों के लिए घाटे का सौदा भी बन जाती है.

आलू की खेती (Potato Farming)

आलू जमीन के अंदर उगते हैं. आलू को कंद कहते हैं. विज्ञान के अनुसार ये पौधों का तना होते हैं. आप इन्हें भूमिगत तना बोल सकते हैं. आलू की फसल के लिए समतल और पानी की अच्छी निकासी वाली जमीन चाहिए होती है. आलू की खेती के लिए उपजाऊ बलुई दोमट और दोमट मिट्टी अच्छी रहती है. खेत की दो-तीन बार जुताई करना अच्छा रहता है और फिर उसे पाटा चलाकर समतल किया जाता है.

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आलू की बोआई के लिए सितंबर से अक्टूबर तक का समय ठीक माना जाता है. वहीं, सामान्य फसल की बोआई के लिए अक्टूबर से नवंबर तक का समय सही रहता है. बोने के करीब 70-80 दिनों बाद आलू खोदने लायक हो जाते हैं. आलू पत्ते लंबे और गोल आकार के होते हैं और इनके फूल आसमानी या सफेद रंग के होते हैं. रंगों और आकार में बड़े-छोटे के हिसाब से आलू की कई किस्में होती हैं.

आलू के गुण (Potato properties)

आलू एक संपूर्ण आहार माना जाता है. इसे व्रत में भी खाया जाता है. आलू कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) का प्रमुख स्रोत हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से स्टार्च (Starch) के रूप में पाया जाता है. इसी के साथ, आलू में प्रोटीन, आयरन और मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और सल्फर भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. आलू में विटामिन B और C भी होता है. आलू के ज्यादातर पोषक तत्व उसके छिलके के ठीक नीचे होते हैं. ऐसे में आलुओं का गहराई से छिलका उतार लेने से वे पोषक तत्व भी चले जाते हैं.

आलू के फायदे (Potato health benefits)

आलू भी सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं. आमतौर पर लोगों के घर में रोज में आलू की सब्जी बनती है और इन्हें खाने से कोई व्यक्ति बीमार नहीं होता, लेकिन आलू का सेवन भी उचित मात्रा में ही किया जाना चाहिए.

कुछ लोग आलू को चर्बी या मोटापा बढ़ाने वाला बताते हैं, हालांकि कई लोग इस बात से मना भी करते हैं.

आलू से बने व्यंजन खाने से काफी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन मिलता है. इससे पेट भी काफी देर तक भरा-भरा लगता है. मेहनती और तेज पाचन शक्ति वाले लोग अगर आलू का सेवन करते हैं, तो उनकी कमजोरी दूर होती है.

आलू में स्टार्च बहुत होता है, इसलिए इन्हें खाने से शरीर को एनर्जी मिलती है. आलू का पीला भाग यानी उसके गूदे में बीटा कैरोटीन होता है, जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और जलनरोधी गुण (Anti-inflammatory) पाए जाते हैं. ये शरीर की कोशिकाओं को ऑक्सीडेंट और तनाव से बचाते हैं.

भुने हुए आलू में सेंधा नमक मिलाकर खाने से कब्ज की समस्या में आराम होता है (लेकिन उचित मात्रा में खाएं).

Potato for Eyes- कच्चे आलू को अच्छी तरह धोकर और उसके दो टुकड़े करके उन्हें बंद आंखों पर 10 मिनट के लिए रखने पर आंखों की सारी थकान और गर्मी दूर हो जाती है (यही फायदा खीरे के टुकड़े रखने से भी होता है).

ज्यादातर लोगों को अगर आलू से बनी कोई भी चीज पसंद आती है, तो वे उसे ज्यादा मात्रा में खा लेते हैं. इससे इसे पचाने में परेशानी हो सकती है, क्योंकि आलू गरिष्ठ और पचने में भारी होते हैं, साथ ही मल को गाढ़ा करते हैं, इसलिए इन्हें ज्यादा खाने से शरीर में आलस पैदा होता है और गैस भी बन सकती है.

त्वचा के लिए आलू के फायदे (Potato benefits for Skin)

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आलू त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. अगर रोज एक ताजा कच्चा आलू काटकर या आलू का रस निकालकर उसे त्वचा पर रोज मला जाए, तो त्वचा का सारा कालापन दूर हो जाता है और निखार भी बढ़ जाता है.

कच्चे आलू के टुकड़े या उसका रस रोज पैरों के पंजों में रगड़ने से पंजों का सारा कालापन चला जाता है.

आंखों के नीचे काले घेरों को मिटाने के लिए भी कच्चे आलू का रस (या खीरे का रस) लगाया जाता है.

आलू के रस के इस्तेमाल से त्वचा में झुर्रियां नहीं पड़तीं, झाइयां, कालापन और दाग-धब्बे दूर होते हैं और निखार बढ़ता है.

अगर त्वचा के किसी हिस्से में जलन हो रही हो, तो उस पर कच्चे आलू का रस लगाया जा सकता है.

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आलू का फेस पैक (Potato face pack)

कच्चे आलुओं का रस और कच्चा दूध बराबर मात्रा में मिलाकर हल्की आंच पर लगातार चलाते हुए गर्म करें. जब यह पेस्ट क्रीम की तरह गाढ़ा हो जाए, तो इसे आग पर से उतारकर अच्छी तरह ठंडा कर लें. फिर इसमें थोड़ा ऐलोवीरा जेल, विटामिन-E के कुछ कैप्सूल और थोड़ा सा बादाम रोगन मिलाएं.

इस पेस्ट से चेहरे की हल्के-हल्के हाथों से करीब 5 मिनट तक मसाज करें, फिर लगभग आधे से एक घंटे बाद मुंह धो लें. आप इस फेस पैक को फ्रिज में रखकर रोज इस्तेमाल कर सकते हैं (अगर पेस्ट खराब हो जाए या उसमें से दुर्गंध आने लगे तो इस्तेमाल न करें). इस पैक का इस्तेमाल हाथों और पैरों में भी किया जा सकता है.

आलू के सेवन में सावधानियां

आलू का हरा भाग (Potato Green part) कभी नहीं खाना चाहिए. आलू का हरा रंग सोलेनीन के कारण होता है जो कि आलू की गुणवत्ता को कम कर देता है. यह हरा रंग आलू के खुले भाग पर सूर्य की तेज किरणों के पड़ने से हो जाता है.

अगर आलू नरम हो गए हों, या उनमें से कुछ दुर्गंध या कुछ पानी आ रहा हो, तो उनका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए.

किसी-किसी आलू के गूदे में कुछ काला भाग दिखाई देता है. ऐसे आलुओं को बिल्कुल नहीं खाना चाहिए.

डायबिटीज के मरीजों, या जिन लोगों को अपना शुगर लेवल कंट्रोल करने की जरूरत है, उनके लिए आलू का सेवन फायदेमंद नहीं है.

जिन लोगों की पाचन शक्ति कमजोर है, या जिन्हें गैस या अफारा या अपच की समस्या हो, उन्हें आलू का सेवन उचित मात्रा में ही करना चाहिए.

नोट- हर अच्छी चीज का सेवन भी उचित मात्रा में ही करें. इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.

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LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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