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Animal Sacrifice In Sanatan Dharm : सनातन धर्म में पशु बलि प्रथा कब से शुरू हुई?

एक घोड़े की बलि दी जाने लगी. घोड़े को भय से तड़पता देखकर महाराजा अग्रसेन को बेहद दया आई, साथ ही बहुत क्रोध भी आया. जब उनसे कहा गया कि यज्ञ में पशुबलि का विधान है, तब उन्होंने …. […]

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क्या प्राचीन भारत में कोई मनुष्य मांस नहीं खाता था? मांसाहार को लेकर क्या थे नियम?

ब्राह्मण ने व्‍याध से कहा- “तात! यह मांस बेचने का काम निश्‍चय ही तुम्‍हारे योग्‍य नहीं है. मुझे तो तुम्‍हारे इस घोर कर्म से बहुत संताप हो रहा है…” […]

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Number of Vedas : आरम्भ में वेदों की संख्या कितनी थी? वेदों के 4 भाग कब और क्यों हुये?

अनेक स्थानों पर यह भी कहा गया है कि वेद पहले एक ही था, और महर्षि वेदव्यासजी ने उसके चार भाग किये थे. महाभारत तथा पुराणों में कई स्थानों पर इस ऐतिहासिक तथ्य का उद्घाटन किया गया है. […]

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Draupadi in Mahabharat : द्रौपदी द्वारा कर्म और पुरुषार्थ के महत्त्व का वर्णन

कार्य में सिद्धि प्राप्त होगी या असिद्धि, ऐसा संदेह मन में लेकर कर्म ही न किया जाए, तो यह उचित नहीं है, क्योंकि कई कारण एकत्र होने पर ही कर्म में सफलता मिलती है. पुरुषार्थ करने पर भी यदि सिद्धि प्राप्त न हो, तो इस बात को लेकर खिन्न नहीं होना चाहिए, क्योंकि फल की सिद्धि में पुरुषार्थ के सिवा दो और भी कारण होते हैं – […]

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Panchakanya ke Naam : इन पांच स्त्रियों को क्यों कहा गया है पंचकन्या?

द्रौपदी यज्ञ से प्रकट हुई थीं. महाभारत के अनुसार, द्रौपदी ऐसी जान पड़ती थीं मानो दुर्गा ही मानव शरीर धारण कर प्रकट हुई हों. वे अत्यंत सुन्दर और गुणी थीं तथा अधर्म का नाश करने के लिए ही आयी थीं. […]

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Bharat Name History : हमारे देश का नाम ‘भारत’ कब और कैसे पड़ा?

भगवान् श्रीराम के आने तक विश्वामित्र जी की तपस्या पूरी हो चुकी थी. शतानन्द जी श्रीराम को बताते हैं कि ‘विश्वामित्र जी के आश्रम में मेनका दस वर्ष तक रही थीं. और जब विश्वामित्र …. […]

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Brahma Muhurta Benefits : सुबह जल्दी उठने के फायदे, प्रातः स्मरणीय श्लोक एवं प्रार्थना

ब्रह्म मुहूर्त मनुष्य की जैविक घड़ी को रिचार्ज करता है और दिनभर उसकी लय और पैटर्न को बनाए रखता है. यह समय ज्ञान की अनुभूति के लिए भी उत्तम है. इस समय व्यक्ति को आत्म-साक्षात्कार मिल सकता है. […]

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Mansahar in Mahabharat : मांस-भक्षण को लेकर भीष्म पितामह ने क्या कहा है

भीष्म पितामह आगे कहते हैं कि ‘नृपश्रेष्ठ! जैसे मनुष्य को अपने प्राण प्रिय होते हैं, उसी प्रकार समस्त प्राणियों को अपने-अपने प्राण प्रिय होते हैं. जब अपने कल्याण की इच्छा रखने वाले विद्वानों को भी मृत्यु का भय बना रहता है, तब … […]

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Aditya Hridaya Stotra : अत्यंत शक्तिशाली है आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठने वाले, उदित हो रहे सूर्य को प्रणाम करने एवं उसकी स्तुति करने वाले व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, उन्नति, यश, बल एवं आरोग्य की वृद्धि होती है. […]