Clove : लौंग के फायदे और इसके इस्तेमाल में सावधानियां

clove laung
Clove

लौंग (Clove or Laung) भी भारतीय रसोई में रखा जाने वाला प्रमुख मसाला है. इसका इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने और किसी भी बीमारी का इलाज करने में औषधि के रूप में किया जाता है. इसके इस्तेमाल से मसालों को सुगंधित बनाया जाता है. इसी के साथ, यह कई बड़े औषधीय गुणों से भरपूर है. यह कीटाणुनाशक और दर्दनाशक होती है. लौंग की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल सर्दियों में ज्यादा किया जाता है. आज इस लेख में हम लौंग के बारे में और उसके इस्तेमाल और फायदे बताने जा रहे हैं.

लौंग का उत्पादन

लौंग के पेड़ की बिना खिली और सुखाई हुईं कलियों को ही ‘लौंग’ कहा जाता है. भारत में लौंग का उत्पादन मुख्य रूप से दक्षिण भारत में होता है. वहीं, दुनिया में लौंग का सबसे ज्यादा उत्पादन जंजीबार देश (Zanzibar) में होता है. जंजीबार की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से लौंग के उत्पादन पर ही आधारित है. दुनिया में लौंग के समस्त उत्पादन का करीब 90 प्रतिशत भाग जंजीबार में ही पैदा होता है…और इसीलिए इस देश को ‘लौंग का द्वीप’ (Island of cloves) भी कहा जाता है.

लौंग का पेड़ और लौंग को तैयार करने की विधि

लौंग का द्वीप लौंग की दो फसलें होती हैं- जुलाई से अक्टूबर तक और नवंबर से जनवरी तक. लौंग के पेड़ (Clove Tree) की अच्छी देखभाल करनी पड़ती है. लौंग के पौधे धीरे-धीरे बड़े होते हैं और पेड़ करीब 25 से 40 फीट ऊंचे हो जाते हैं. ये तेज धूप और सर्दी को सहन नहीं कर पाते हैं. लौंग के पेड़ साल के बारहों महीने हरे रहते हैं. लौंग के बीज लगाने के बाद लगभग 6 से 8 सालों बाद पेड़ पर लौंग आना शुरू होती हैं. ये पेड़ लगभग 60-70 सालों तक लौंग देते रहते हैं.

laung tree
Clove Tree

लौंग के पेड़ में कई गुच्छों में कलियां लगती हैं. जब कलियां खिलती हैं तो छोटे-छोटे से फूल निकल आते हैं. ये फूल लाल रंग के होते हैं. फूलों को खिलने से पहले ही उन्हें तोड़ लिया जाता है. फिर अच्छे मौसम में इन्हें धूप में सुखा लिया जाता है और इसके बाद इन्हें आग पर भी सुखाया जाता है. सुखाने के बाद लगभग 40 प्रतिशत ही लौंग बचती है. एक मौसम में लौंग के एक पेड़ से करीब तीन किलो लौंग मिल जाती हैं.

लौंग के इस्तेमाल

बाजार में दो तरह की लौंग मिलती हैं- एक तेज सुगंध वाली काली लौंग, जो असली मानी जाती है….दूसरी नीले रंग की लौंग, जिनमें से मशीन के जरिए तेल (Clove Oil) निकाल लिया जाता है. जिस लौंग में तेज गंध होती है और स्वाद में तीखी होती है, साथ ही दबाने पर कुछ तेल निकलने जैसा मालूम पड़े, तो इस तरह की लौंग अच्छी मानी जाती है. भारतीय व्यंजनों में लौंग का कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है, जैसे- बघार लगाने, खाना पहाटे समय पीसकर डालने, मसालों का स्वाद बढ़ाने, चाय में डालने और पान लगाने आदि. इसके आलावा, लौंग का सबसे ज्यादा इस्तेमाल घरेलू औषधि के रूप में किया जाता है.

लौंग के फायदे-

लौंग का सेवन करने से सिर दर्द दूर होता है, पेट दर्द में आराम होता है, पाचन शक्ति बढ़ती है और दांत और मसूढ़े स्वस्थ बनते हैं.

लौंग कीटाणुनाशक और दर्दनाशक होती है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल कफ-खांसी को मिटाने और दांतों के दर्द या दांतों-मसूड़ों की समस्याओं को दूर करने में किया जाता है. दांतों के डॉक्टर अपने पास लौंग का तेल अनिवार्य रूप से रखते हैं.

शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द होने पर लौंग को पानी में घिसकर लगाने से यह दर्द नाशक का काम करती है. सर्दियों में लौंग को जलाकर उससे निकलने वाले धुएं को सूंघने से भी कई तरह के फायदे मिलते हैं.

लौंग पेट की समस्याओं जैसे अमाशय और आंतों में रहने वाले बैक्टीरिया को खत्म करती है. यह खून में सफेद रक्त कोशिकाओं (white blood cells) को बढ़ाकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाती है. बाजार में मिलने वाली अमृतधारा (आयुर्वेदिक दवाई) में लौंग का भी इस्तेमाल किया जाता है.

अलग-अलग समस्याओं में लौंग का इस्तेमाल-

दांतों के लिए तो लौंग वरदान है. दांत में दर्द होने पर उस जगह पर लौंग को दबाने और चूसने से दांत दर्द में तुरंत आराम होता है. यह दांतों से कीड़े को नष्ट करती है, मसूड़ों को संक्रमण से बचाती है और मुंह की दुर्गंध दूर करती है.

(अमृतधारा को छोटे से रुई के फाहे में भिगोकर दांत दर्द वाली जगह पर रखने से भी राहत मिलती है).

लौंग को मुंह में रखकर उसका रस चूसने से खांसी में आराम होता है और कफ मिटता है.

लौंग को दीपक की लौ में सेंककर उसे मुंह में रखकर चूसने से सर्दी-जुकाम, गले की सूजन और खांसी में आराम मिलता है.

लौंग का तेल सूंघने से भी जुकाम में आराम होता है.

लौंग को चबा-चबाकर निगलने से सर्दी-जुकाम और सांस फूलने की समस्या में राहत मिलती है. सर्दियों में अगर कफ या सांस फूलने की समस्या ज्यादा हो रही हो, तो ऐसे में रोज 1 से 2 लौंग अच्छे से चबा-चबाकर निगलनी चाहिए.

लौंग का काढ़ा बनाकर पीने से ठंड में लगने वाला बुखार या सर्दी-जुकाम दूर होता है (लेकिन लौंग का काढ़ा बहुत गर्म होता है, इसलिए इसका सेवन थोड़ी मात्रा में किया जाना चाहिए).

लौंग को पानी में घिसकर और उसे थोड़ा गर्म करके सिर पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है.

अगर यात्रा के दौरान कुछ बेचैनी-घबराहट या उल्टी आने जैसा महसूस हो, तो एक लौंग को मुंह में रखकर चूसने से आराम मिलता है.

अगर शरीर के किसी हिस्से में सूजन है, तो लौंग को पीसकर उसका पेस्ट उस जगह पर लगाने से आराम मिलता है.

लौंग को पानी में थोड़ा सा उबालकर ठंडा होने पर छान लीजिए. यह पानी पीने से हैजे में आराम मिलता है.

लौंग के सेवन या इस्तेमाल में सावधानियां

लौंग की तासीर गर्म होती है. इसका बहुत ज्यादा मात्रा में सेवन करना आंखों, मूत्राशय (Bladder) और हृदय के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. गर्भवती महिलाओं को लौंग का सेवन करने से पहले किसी डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लेनी चाहिए.

लौंग के तेल का इस्तेमाल बहुत सीमित मात्रा में और जानकार की सलाह से किया जाना चाहिए. लौंग की सुगंध इसमें पाए जाने वाले यूजेनॉल (Eugenol) की वजह से होती है. यूजेनॉल का सेवन सही मात्रा में किया जाए तो बहुत फायदेमंद है. वहीं, ज्यादा मात्रा में सेवन करने से यह लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए लौंग के अर्क और लौंग के तेल का इस्तेमाल बहुत सीमित मात्रा में किया जाना चाहिए.

सर्दी-जुकाम, कफ, खांसी आदि में लौंग को मुंह में रखकर चूसना ही फायदेमंद होता है, या सर्दियों में इसे रोज खाना बनाते समय उसमें इस्तेमाल किया जा सकता है.

कुछ जगहों पर लौंग का तेल मुहांसों (पिंपल्स) पर लगाने की सलाह दी जाती है. कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लौंग का तेल त्वचा पर डायरेक्ट नहीं लगाना चाहिए. पिंपल्स पर अमृतधारा लगाने से भी फायदा होता है.

नोट- इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.



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