Moon Interesting Facts : जानिये हमारी पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा से जुड़े ये रोचक तथ्य

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चन्द्रमा से जुड़े रोचक तथ्य

Earth Moon Interesting Facts

सूर्य (Sun) के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकदार पिंड चन्द्रमा (Moon or Chandrma) ही है. घने बादलों के बीच चमकता पूर्णिमा का चन्द्रमा इतना सुन्दर दिखाई देता है कि किसी भी सुन्दर चेहरे की उपमा चंद्रमा से ही दे दी जाती है. हमारे रात के आकाश में सबसे चमकीला और सबसे बड़ा पिंड, चंद्रमा हमारे ग्रह पृथ्वी के अपनी धुरी पर डगमगाने को नियंत्रित करता है और पृथ्वी को अधिक रहने योग्य ग्रह बनाता है, जिससे अपेक्षाकृत स्थिर जलवायु होती है. यह ज्वार का कारण भी बनता है. यह एक लय बनाता है जिसने हजारों वर्षों से मनुष्यों का मार्गदर्शन किया है. आज हम चन्द्रमा से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे-

चन्द्रमा हमारी पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है. चंद्रमा हमारे सौरमंडल में ग्रहों की परिक्रमा करने वाले 200+ चंद्रमाओं (प्राकृतिक उपग्रहों) में पांचवां सबसे बड़ा उपग्रह है (सबसे बड़ा उपग्रह गैनीमेडे है).

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चन्द्रमा हमारी पृथ्वी से लगभग 2,39,000 मील (3,84,000 किलोमीटर) की दूरी पर रहकर पृथ्वी के चारों ओर लगाता रहता है. यानी पृथ्वी के आकार के 30 ग्रह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच आ सकते हैं (चंद्रमा और सूर्य की दूरी लगभग 150 मिलियन किलोमीटर (93 मिलियन मील) है).

चंद्रमा की माध्य त्रिज्या

चंद्रमा की माध्य त्रिज्या (Mean Radius)– 1,737.10 किमी (0.273 पृथ्वी)
चंद्रमा की विषुवतीय त्रिज्या (Equatorial Radius)- 1,738.14 किमी (0.273 पृथ्वी)
चंद्रमा की ध्रुवीय त्रिज्या (Polar Radius)- 1,735.97 किमी (0.273 पृथ्वी)

वैज्ञानिकों का ऐसा अनुमान है कि चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर जा रहा है, हर साल लगभग एक इंच दूर हो रहा है.

चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है. पृथ्वी पर समुद्री ज्वार और भाटा चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आते हैं. चन्द्रमा का भार पृथ्वी के भार का लगभग 1/8 है. चन्द्रमा का व्यास पृथ्वी का एक चौथाई और द्रव्यमान 1/81 है.

चन्द्रमा अपनी कक्षा में एक निश्चित, नियमित पथ पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है. चन्द्रमा दीर्घवृत्ताकार पथ में पृथ्वी की परिक्रमा करता है. जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है, तो इस अवस्था को पेरीजी कहा जाता है. चन्द्रमा की पृथ्वी से सबसे दूर की अवस्था एपोजी कहलाती है.

चन्द्रमा का सिंक्रोनस रोटेशन

चंद्रमा अपनी धुरी पर उसी दर से घूमता है जिस दर से वह पृथ्वी के चारों ओर घूमता है (इसे सिंक्रोनस रोटेशन कहा जाता है), इसलिए चन्द्रमा का वही गोलार्द्ध हर समय पृथ्वी का सामना करता है.

चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा 27.3 दिन में पूरी करता है और यह अपने अक्ष पर एक पूरा चक्कर भी 27.3 दिन में ही लगाता है. यही कारण है कि चन्द्रमा का हमेशा एक ही हिस्सा या फेस पृथ्वी की ओर होता है.

चंद्रमा अपने स्वयं के प्रकाश से नहीं चमकता है. यह केवल सूर्य से आने वाले प्रकाश को परावर्तित करता है. चन्द्रमा पर दिन अत्यंत गर्म और रातें अत्यंत ठंडी होती हैं. जब सूरज की रोशनी चांद की सतह पर पहुंचती है तो तापमान 127 डिग्री सेल्सियस होता है.

पृथ्वी-चन्द्रमा-सूर्य ज्यामिति के कारण “चन्द्र दशा” हर 29.5 दिनों में बदलती है. चंद्रमा 27 दिनों में पृथ्वी के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी करता है और उसी दर से या उतने ही समय में आपने अक्ष पर भी घूमता है. चूंकि पृथ्वी भी घूम रही है – अपनी धुरी पर घूम रही है और सूर्य की परिक्रमा भी करती है – तो हमारे दृष्टिकोण से, चंद्रमा हर 29 दिनों में हमारी पृथ्वी की परिक्रमा करता हुआ प्रतीत होता है.

चन्द्रमा की उत्पत्ति (Origin of Moon)- वैज्ञानिकों का ऐसा अनुमान है कि 4.5 अरब साल पहले चंद्रमा का जन्म मंगल के आकार के पिंड के पृथ्वी से टकराने के कारण हुआ था. इस टकराव के कारण ही पृथ्वी के 23.5 डिग्री झुकी हुई धुरी भी उत्पन्न हुई, जिससे पृथ्वी पर मौसम उत्पन्न हुए.

चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse)- चंद्र ग्रहण के दौरान हमारी पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है जिससे सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर गिरने से रुक जाता है. चंद्र ग्रहण के कुछ चरणों के दौरान चंद्रमा लाल रंग का दिखाई दे सकता है.

चंद्र ग्रहण दो प्रकार का होता है- पूर्ण चंद्र ग्रहण और आंशिक चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse and Partial Lunar Eclipse). पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी एक सीध में होते हैं. आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया का केवल एक हिस्सा चंद्रमा को ढकता है.

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चंद्रमा का कोई चंद्रमा (उपग्रह) नहीं है. चंद्रमा का कोई वलय नहीं है. बहुत पहले चंद्रमा में सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcanoes) थे, लेकिन आज वे सभी सुप्त हैं और लाखों वर्षों से उनमें विस्फोट नहीं हुआ है.

चंद्रमा की एक ठोस, चट्टानी सतह है जिसमें गड्ढे हैं, जो कि क्षुद्रग्रहों, उल्कापिंडों और धूमकेतुओं के कारण हैं. चंद्रमा का बहुत पतला और कमजोर वातावरण है जिसे एक्सोस्फीयर (Exosphere) कहा जाता है. यह सांस लेने योग्य नहीं है. चंद्रमा का कमजोर वातावरण और तरल पानी की कमी जीवन का समर्थन नहीं कर सकती. यह सूर्य के विकिरण (Radiation) या उल्कापिंडों के प्रभावों से कोई सुरक्षा भी नहीं दे सकता है.

पृथ्वी से तो बहुत कम ही उल्कापिंड टकराते हैं, जबकि चंद्रमा की सतह से टकराने वाले उल्कापिंडों की संख्या बहुत ज्यादा है, क्योंकि चंद्रमा के पास गिरते हुए उल्कापिंडों को घर्षण से उत्पन्न ऊष्मा द्वारा जलाने वाला वायुमंडल (Atmosphere) नहीं है.

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