Air India : जानिए देश की पहली एयरलाइन कंपनी और उसके ‘पितामह’ से जुड़ीं खास बातें

Air India and JRD Tata

अक्टूबर 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस (Tata Airlines) के रूप में देश की पहली विमानन कंपनी (India First Airline) की शुरुआत की थी. इसी कंपनी को बाद में ‘एयर इंडिया’ (Air India) नाम दिया गया था. साल 1953 में एयर कॉरपोरेशन एक्ट के तहत सरकार ने इस विमानन कंपनी का मालिकाना हक अपने हाथ में ले लिया था. अब 68 सालों बाद फिर यह विमानन कंपनी फिर टाटा समूह की झोली में आ रही है. आइए टाटा और एयर इंडिया से जुड़ी कुछ खास बातों पर नजर डालते हैं-

15 अक्टूबर 1932 को भरी थी पहली उड़ान

टाटा एयरलाइंस की शुरुआत करने वाले जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (JRD Tata) देश के पहले लाइसेंसधारी पायलट थे. उन्हें ‘इंडियन एविएशन का पितामह’ भी कहा जाता है. 15 अक्टूबर 1932 को टाटा एयरलाइंस के पहले विमान ने उड़ान भरी थी. पहली फ्लाइट कराची से बॉम्बे (अब मुंबई) की रही, जिसे आगे बढ़ाकर मद्रास (अब चेन्नई) किया गया. पहली फ्लाइट के पायलट थे जेआरडी टाटा के दोस्त नील विंसेंट. शुरुआत में कराची, अहमदाबाद, बॉम्बे, बेल्लारी और चेन्नई के बीच हवाई सेवा शुरू की गई. साल 1939 तक त्रिवेंद्रम (अब तिरुअनंतपुरम) रूट का विस्तार किया गया.

जेआरडी टाटा को एयरलाइन से था इतना प्यार

जेआरडी टाटा को एयरलाइंस से कितना प्यार था, यह शशांक शाह द्वारा उन पर लिखी गई किताब ‘द टाटा ग्रुप फ्रॉम टॉर्चबियरर टु ट्रेलब्लेजर्स’ से पता चलता है. जेआरडी टाटा एयरलाइंस की हर छोटी से छोटी बात का ध्यान रखते थे. उनके लिए यह एयरलाइन उड़नपरी जैसी थी, जिसका वह पूरा खयाल रखते थे.

वह अक्सर फ्लाइट में पहुंचकर उसका पूरा निरीक्षण किया करते थे. यहां तक कि एयर होस्टेस की हेयर स्टाइल पर तक टाटा की नजर रहती थी. अगर उन्हें कभी एयरलाइन का कोई काउंटर गंदा लगता, तो वह खुद ही कपड़ा लेकर उसे साफ करने में जुट जाते थे. यहां तक कि एक बार उन्होंने विमान के टॉयलेट की सफाई कर दी थी.

21 सालों बाद हो गया राष्ट्रीयकरण

29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइन ‘पब्लिक लिमिटेड’ कंपनी बन गई और उसका नया नाम ‘एयर इंडिया लिमिटेड’ रखा गया. आजादी के बाद 1947 में सरकार ने इसमें 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली. टाटा ने साल 1948 में ‘एयर इंडिया इंटरनेशनल लिमिटेड’ नाम से एक और कंपनी बनाई और अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवा शुरू की, तब मुंबई और काहिरा, जिनेवा और लंदन के बीच हवाई सेवा की शुरुआत की गई.

साल 1953 में विमानन कंपनियों के राष्ट्रीयकरण (Nationalization) के तहत एयर इंडिया को सरकार ने अपने हाथों में ले लिया. विमानन क्षेत्र में बड़े अनुभवों को देखते हुए नई सरकारी कंपनी का चेयरमैन टाटा को बनाया गया. लेकिन जेआरडी टाटा एयर इंडिया के राष्ट्रीयकरण के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि उन्हें इस बात की चिंता थी कि इससे सेवा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा और विमान का संचालन नौकरशाही में फंस कर रह जाएगा.

इस हादसे से टाटा हो गए ‘दूर’

1 जनवरी 1978 को एयर इंडिया का बोइंग 747 विमान दुर्घटना का शिकार हो गया, जिसमें विमान में सवार 213 लोगों की मौत हो गई थी. महीने भर बाद प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Morarji Desai) के नेतृत्व वाली सरकार ने जेआरडी टाटा को एयर इंडिया के चेयरमैन पद और इंडियन एयरलाइंस के डायरेक्टर पद से हटा दिया. उन्हें इस बात की जानकारी भी उसी समय नहीं दी गई थी. उनकी जगह एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) प्रताप चंद्र लाल को नियुक्त किया गया. इसके बाद, साल 1980 में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने प्रधानमंत्री बनने के बाद टाटा को फिर से बोर्ड में शामिल किया, हालांकि वह चेयरमैन नहीं बनाए गए थे.

शुरू हुआ घाटे का सिलसिला

राष्ट्रीयकरण के बाद घरेलू उड़ान सेवा के लिए इंडियन एयरलाइंस कॉरपोरेशन और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए एयर इंडिया इंटरनेशनल कॉरपोरेशन का गठन किया गया. साल 1962 में ‘एयर इंडिया इंटरनेशनल’ का नाम बदलकर ‘एयर इंडिया’ कर दिया गया. साल 2007 में सरकार ने इंडियन एयरलाइंस का एयर इंडिया में विलय कर दिया और यहीं से कंपनी में घाटे का सिलसिला शुरू हो गया, जिसे रोकना सरकार के लिए कठिन होता चला गया.

विलय के समय 100 करोड़ रुपए के मुनाफे में थी कंपनी

31 मार्च 2019 तक कंपनी पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का कर्ज चढ़ चुका था. मार्च 2021 को समाप्त हुई तिमाही में कंपनी को करीब 10,000 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान है. जबकि इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के समय एयर इंडिया करीब 100 करोड़ रुपए के मुनाफे में थी, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप, गलत मैनेजमेंट, अनियमितता और तमाम अंदरूनी गड़बड़ियों के चलते इसकी स्थिति खराब होती चली गई.

हर दिन लगभग 60,000 यात्री विदेश यात्रा करते हैं. वर्तमान में, एयर इंडिया में लगभग 20,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनमें से करीब 10,000 कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं. इन कर्मचारियों में से करीब 1,700 पायलट और लगभग 4,000 एयर हॉस्टेस हैं.

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