जीवन समंक क्या है? जीवन समंकों का अर्थ और परिभाषा

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जीवन समंक क्या है? जीवन समंकों का अर्थ और परिभाषा (What is Vital statistics? Meaning and definition of Vital statistics in Hindi)

जीवन समंकों का अर्थ (Vital Statistics Meaning in Hindi) –

“जीवन समंक (Vital statistics)” शब्द से अभिप्रायः ऐसे समंकों से है जो किसी जन-समुदाय की जीवन – सम्बन्धी घटनाओं (Vital Events) से सम्बंधित होते हैं। जीवन सम्बन्धी घटनाओं से आशय मानवीय जीवन की उन घटनाओं जैसे जन्म, मरण, बीमारी, विवाह, तलाक, दत्तक ग्रहण तथा बंधीकरण से होता है।

दूसरे शब्दों में, जीवन समंक (Vital statistics) जीवन सम्बन्धी घटनाओं जैसे जन्म, मृत्यु, प्रवासन, भ्रूण मृत्यु, विवाह, तलाक, दत्तक ग्रहण तथा बंधीकरण पर एकत्रित डेटा हैं।

जीवन समंकों (Vital statistics) को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे जीवन सारणी (life tables), जन्म और मृत्यु के आंकड़े (statistics regarding birth and death) और जीवन सांख्यिकी के आवश्यक आंकड़े (essential data of life statistics)।

इन घटनाओं पर जानकारी एकत्र करने का सबसे आम तरीका नागरिक पंजीकरण के माध्यम से होता है। नागरिक पंजीकरण सरकारों द्वारा उनकी आबादी में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं को रिकॉर्ड करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक प्रशासनिक प्रणाली है।

जीवन समंक की परिभाषा (Vital Statistics Definition in Hindi) –

जीवन समंक (Vital statistics) जीवन सम्बन्धी घटनाओं जैसे जन्म, मृत्यु, प्रवासन, भ्रूण मृत्यु, विवाह, तलाक, दत्तक ग्रहण तथा बंधीकरण पर एकत्रित डेटा हैं।

डॉ. बी. बेंजामिन के अनुसार, “जीवन समंक विवाह, जन्म, बीमारी और मृत्यु के पारंपरिक संख्यात्मक रिकॉर्ड हैं जिनके द्वारा किसी जन – समुदाय के स्वास्थ्य और विकास का समुचित अध्ययन किया जा सकता है।”

According to Dr. B. Benjamin, “Vital Statistics are conventional numerical records of marriages, births, sickness and deaths by which the health and growth of a community may be studied.”

विकसित और विकासशील देशों में जीवन समंक की परिभाषा

विकसित देशों में जीवन समंक शब्द की परिभाषा बहुत व्यापक आधार पर स्वीकृत की गई है क्योंकि वे लोग मानवीय जीवन की अधिकांश घटनाओं को इसमें शामिल करते हैं।

लेकिन विकासशील देशों में जीवन समंकों के अंतर्गत केवल ‘जन्म और मृत्यु’ सम्बन्धी आँकड़े ही शामिल किए जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन देशों में जीवनांक – पंजीयन प्रणाली (Registration System) दोषपूर्ण होने के साथ – साथ अपर्याप्त भी होती है। दूसरे, इन देशों में विवाह जैसे कार्यों को सांस्कारिक कार्य माना जाता है जिनके पंजीकरण की कोई प्रथा नहीं होती है।

अतः इस दृष्टि से संकुचित अर्थ में “जीवन समंक” तलपट है, जिसके अंतर्गत लोगों के पदार्पण एवं प्रस्थान अर्थात जन्म व मरण सम्बन्धी समंको का ही समावेश किया जाता है।

भारत में जीवन समंक (Vital statistics in India) –

भारत में जीवन समंक प्रणाली को नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) कहा जाता है। इस प्रणाली की देखरेख भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के कार्यालय के महत्वपूर्ण सांख्यिकी प्रभाग द्वारा की जाती है। भारत के लिए महत्वपूर्ण आँकड़े CRSORGI पर देखे जा सकते हैं।

नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS), जिसे लोकप्रिय रूप से जन्म और मृत्यु पंजीकरण प्रणाली के रूप में जाना जाता है, वैधानिक प्रावधानों के तहत, महत्वपूर्ण घटनाओं अर्थात: जन्म, मृत्यु और मृत जन्म की निरंतर और स्थायी आधार पर रिकॉर्डिंग है। भारत के संविधान की समवर्ती सूची (Concurrent list) में CRS क्रमांक सं. 30 (Sl. No. 30) के अंतर्गत है। नागरिक पंजीकरण से प्राप्त जीवनांक आँकड़े (जीवन समंक) कई क्षेत्रों में प्रभावी और कुशल साक्ष्य-आधारित नीति के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम (Registration of Births and Deaths RBD Act), 1969 नामक केंद्रीय अधिनियम के प्रावधानों और मॉडल नियम, 1999 के आधार पर बनाए गए राज्य नियम के तहत जन्म और मृत्यु का पंजीकरण किया जाता है। इस अधिनियम को वर्ष, 1969 में अधिनियमित किया गया और इसे देश भर में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण में एकरूपता और तुलनीयता को बढ़ावा देने के लिए 1 अप्रैल, 1970 से अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया।

RBD Act, 1969 के प्रावधानों के तहत, जन्म और मृत्यु का पंजीकरण अनिवार्य है। जन्म, मृत जन्म और मृत्यु की घटना का पंजीकरण उसी स्थान पर किया जाता है, जहां पर ये घटना हुई थी। घटना की रिपोर्ट करने की सामान्य अवधि घटना से 21 दिनों तक की होती है, फिर भी घटना को RBD Act की धारा 13 के विलंबित पंजीकरण प्रावधानों के तहत सामान्य अवधि के बाद भी पंजीकृत किया जा सकता है।

वर्तमान स्थिति:

राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2019 की “नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर आधारित महत्वपूर्ण सांख्यिकी (Vital Statistics based on Civil Registration System)” रिपोर्ट 15 जून 2021 को जारी की गई। पंजीकृत जन्म और मृत्यु के अनुपात में पिछले कुछ वर्षों में निरंतर वृद्धि हुई है। देश में जन्म पंजीकरण वर्ष, 2011 में 82.4% से बढ़कर वर्ष, 2019 में 92.7% हो गया है, जबकि दूसरी ओर मृत्यु पंजीकरण का स्तर वर्ष 2011 में 66.4% से बढ़कर वर्ष, 2019 के दौरान 92.0% हो गया है।

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