What Is Sound : ध्वनि तरंग क्या है, ध्वनि हमारे कानों तक कैसे पहुँचती है?

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What is Sound Energy

हम हर समय अलग-अलग प्रकार की ध्वनियाँ सुनते रहते हैं, जैसे मानवों, पक्षियों, घंटियों, मशीनों, वाहनों, TV, मोबाईल आदि. कुछ ध्वनियाँ सुखद होती हैं, और कुछ कष्टप्रद होती हैं. आप गिटार, ड्रम या वायलिन या कोई भी संगीत वाद्ययंत्र का उपयोग करते होंगे. जब हम गिटार के तारों को बजाते हैं तो हमें एक ध्वनि सुनाई देती है.

इसी के साथ, एक ही उपकरण अलग-अलग प्रकार की ध्वनियाँ भी उत्पन्न कर सकता है. लेकिन यह सब कैसे होता है? ध्वनि क्या है? ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है और ध्वनि का प्रसार (Propagation of Sound) कैसे होता है? किसी माध्यम में यह किस प्रकार संचरित (Transmitted) होकर हमारे कानों तक पहुँचती है?

भौतिकी में, ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जिसे जीवित वस्तुओं द्वारा सुना जा सकता है. मनुष्य ध्वनि की आवृत्तियों की एक सीमित सीमा (Range of Sound Frequencies) को ही सुन सकता है. मनुष्य 20 Hz से 20 kHz तक की ध्वनि सुन सकता है. मानव वाणी द्वारा उत्पन्न विशिष्ट ध्वनि की आवृत्ति 100 से 1,000 हर्ट्ज के क्रम में होती है.

भौतिकविदों ने मानव कान की ऑडियो आवृत्ति स्पेक्ट्रम की पहचान 20 हर्ट्ज और 20,000 हर्ट्ज के बीच की है. मानव कान 12 हर्ट्ज से कम और 20,000 हर्ट्ज से अधिक आवृत्तियों का पता लगा सकता है. मानव श्रवण की सीमा (Range of Human Hearing) से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनियाँ अल्ट्रासाउंड कहलाती हैं, जबकि मानव श्रवण की सीमा से कम आवृत्ति वाली ध्वनियाँ इन्फ्रासाउंड कहलाती हैं. सोनोग्राफी में अल्ट्रासोनिक तरंगों का उपयोग किया जाता है.

ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है (Sound is a form of Energy)

ध्वनि ऊर्जा (Energy) का एक रूप है, जैसे बिजली, गर्मी या प्रकाश. हम या आप ऊर्जा को न तो उत्पन्न कर सकते हैं और न ही उसका विनाश कर सकते हैं. हम इसे केवल एक से दूसरे रूप में रूपांतरित कर सकते हैं. ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में श्रवण का संवेदन (Sensation of Hearing) उत्पन्न करती है.

हम अलग-अलग वस्तुओं में घर्षण द्वारा, खुरच कर, रगड़कर, हवा फूंककर या उन्हें हिलाकर ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं. जब हम ताली बजाते हैं तो ध्वनि उत्पन्न होती है. क्या आप अपनी ऊर्जा का उपयोग किये बिना ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं?

ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है, एक कंपन है (Sound is a mechanical wave, a vibration)

ध्वनि एक यांत्रिक तरंग (Mechanical Wave) है, या ध्वनि एक कंपन (Vibrations) है जो किसी माध्यम से यांत्रिक तरंग के रूप में फैलती है. यांत्रिक तरंगें वे तरंगें हैं जिन्हें अपनी ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किसी न किसी माध्यम की जरूरत होती है. ध्वनि निर्वात (Vacuum) से होकर नहीं गुजर सकती.

ध्वनि तरंगें वस्तुओं के कंपन का परिणाम हैं, या ध्वनि कंपन करती हुई वस्तुओं द्वारा उत्पन्न होती है. हम वस्तु को कंपमान या कंपायमान करते हैं और ध्वनि उत्पन्न करते हैं. कंपन बंद हो जाता है तो ध्वनि भी बंद हो जाती है. कंपन का अर्थ है- किसी वस्तु का तेजी से बार-बार इधर-उधर गति करना. आप हर जगह कंपन के उदाहरण देख सकते हैं.

कुछ कंपन दिखाई देते हैं तो कुछ नहीं. यदि आप खिंचे हुए रबर बैंड को खींचते हैं और फिर छोड़ते हैं, तो बैंड केंद्रीय अक्ष (central axis) के चारों ओर इधर-उधर घूमता है और ऐसा करते समय यह ध्वनि भी उत्पन्न करता है. हम सब लोगों में वाक्ध्वनि (Speech Sound) हमारे वाक् तंतुओं के कम्पित (Vibration of Vocal Cords) होने के कारण उत्पन्न होती है. क्या आप किसी कंपमान वस्तु के बिना ध्वनि उत्पन्न कर सकते हैं?

ध्वनि के लिए माध्यम (Medium for Sound)

वह पदार्थ जिससे होकर ध्वनि संचरित (Transmitted) होती है, माध्यम (Medium) कहलाता है. यह ठोस, द्रव या गैस हो सकता है. दूसरे शब्दों में, ध्वनि जिस माध्यम में फैलती है, वह ठोस, तरल या गैस हो सकता है. ध्वनि तरंगें ठोस में सबसे तेज गति से चलती हैं, तरल में अपेक्षाकृत धीमी और गैसों में सबसे धीमी गति से चलती हैं. ध्वनि के संचरण (Transmission of Sound) के लिए हवा सबसे अधिक सामान्य माध्यम है.

जिस गति से ध्वनि तरंगें किसी माध्यम से गुजरती हैं उसे ध्वनि की गति (Speed of Sound) कहा जाता है. अलग-अलग माध्यमों में ध्वनि की चाल भी अलग-अलग होती है. ध्वनि तरंग की गति उस माध्यम के प्रकार से प्रभावित होती है, जिस माध्यम से वह यात्रा करती है. ध्वनि की गति ठोस में सबसे अधिक होती है क्योंकि ठोस में परमाणु अत्यधिक पास-पास होते हैं.

किसी कण में परमाणुओं के बीच परस्पर क्रिया, उनके बीच की दूरी पर अत्यधिक निर्भर होती है. परमाणुओं के बीच परस्पर क्रिया जितनी अधिक होगी, ऊर्जा का स्थानांतरण (Transfer of Energy) उतनी ही तेजी से होगा. चूंकि ठोस पदार्थों में कणों की परस्पर क्रिया अधिक होती है. तरल पदार्थ या गैसों की तुलना में ठोस माध्यम में अणु एक-दूसरे से कसकर बंधे होते हैं, जिससे ध्वनि तरंगें तेजी से चलती हैं, इसलिए ठोस पदार्थों में ध्वनि की गति सबसे तेज होती है.

इसी प्रकार, ध्वनि तरंगें गैसों में सबसे धीमी गति से चलती हैं क्योंकि गैसों के अणु एक दूसरे से बहुत दूर तक फैले होते हैं. हालाँकि यह एकमात्र कारक नहीं है ध्वनि की गति के प्रभावित होने का. ध्वनि तरंग की गति उस माध्यम के घनत्व, तापमान और लोच (Density, Temperature and Elasticity) से भी प्रभावित हो सकती है, जिनके जरिये ध्वनि तरंगें यात्रा करती हैं. ध्वनि की तरंगदैर्ध्य तापमान में परिवर्तन से प्रभावित होती है.

निम्नलिखित कुछ कारक हैं जो ध्वनि के प्रसार को प्रभावित करते हैं-

1. यदि जिस वातावरण में ध्वनि तरंग यात्रा कर रही है, वह अशांत है, तो माध्यम के वेग में उतार-चढ़ाव के कारण ध्वनि तरंगें बिखर जाएंगी.

2. हवा के साथ फैलने वाली ध्वनि नीचे की ओर झुक जाएगी जबकि हवा के विरुद्ध फैलने वाली ध्वनि ऊपर की ओर झुक जाएगी.

3. पृथ्वी की सतह के निकट गर्म वातावरण में ध्वनि तरंगें तेजी से चलती हैं. यहां ध्वनि तरंगों का ऊपर की ओर अपवर्तन (Refract) होता है. अधिक ऊंचाई पर तापमान में कमी होने की स्थिति में अपवर्तन नीचे की ओर होगा.

क्या ध्वनि अंतरिक्ष में यात्रा कर सकती है?

ध्वनि जिस माध्यम से यात्रा करती है, उसके कुछ हिस्सों को बारी-बारी से सिकुड़ते और विस्तारित करते (फैलाते) हुए उस माध्यम से गुजरती है. ध्वनि के प्रसार (Propagation of Sound) के लिए कोई न कोई माध्यम जरूरी है. इसलिए ध्वनि वैक्यूम में यात्रा नहीं कर सकती क्योंकि वैक्यूम में ऐसे कोई अणु नहीं हैं जिन्हें संपीड़ित और विस्तारित (Compressed and Expanded) किया जा सके.

जब आप कोई ध्वनि निकालते हैं, तो उसका कंपन हवा में फैलता है, और जब यह आपके कानों के माध्यम से आपके मस्तिष्क तक पहुंचता है, तो इसे ध्वनि के रूप में समझा जाता है. इस स्थिति में ध्वनि का प्रसार वायु के माध्यम से होता है.

एक पारदर्शी कांच के जार के अंदर एक बिजली की घंटी रखी हुई है. जार के बाहर एक स्विच का उपयोग करके घंटी को चालू और बंद किया जा सकता है. हवा को बाहर खींचकर जार के अंदर एक वैक्यूम बनाया गया है. फिर स्विच का उपयोग करके घंटी बजाई जाती है. तो बताइये कि इस स्थिति में आप क्या देखेंगे और क्या सुनेंगे?

इस स्थिति में, हम घंटी बजते हुए देख तो सकते हैं, लेकिन उसे सुन नहीं सकते. ऐसा इसलिए क्योंकि ध्वनि को यात्रा करने के लिए एक माध्यम की जरूरत होती है और यह वैक्यूम में यात्रा नहीं कर सकती है. इसलिए हमें घंटी बजती हुई नहीं सुनाई देगी.

यदि आप बहुत तेज आवाज सुनते हैं, तो आप अपने कान ढक लेते हैं. आप ऐसा क्यों करते हैं? आप अपने कानों के अंदर की हवा को बाकी वातावरण से बंद कर देते हैं. इससे आपके चारों ओर घूमने वाली ध्वनि तरंगें अब आपके कानों तक नहीं पहुंच पाती हैं या आपके द्वारा सुनी जाने वाली ध्वनि की तीव्रता बहुत कम हो जाती है.

इससे पता चलता है कि ध्वनि तरंगों को फैलने के लिए किसी न किसी माध्यम की जरूरत होती है. निर्वात में ध्वनि तरंगों का प्रसार संभव नहीं है. किसी माध्यम से यात्रा करते समय ध्वनि की गति माध्यम के प्रकार पर निर्भर करती है. हवा में यात्रा करते समय ध्वनि की गति 343 मीटर/सेकंड या 1,235 किमी/घंटा होती है.

यदि चंद्रमा पर कोई बम फटता है तो उसकी आवाज पृथ्वी तक नहीं पहुंचेगी. क्योंकि वहां ध्वनि फैलने का कोई माध्यम नहीं है और चंद्रमा से पृथ्वी तक ध्वनि की यात्रा के लिए कोई माध्यम नहीं है. इसलिए वहां ध्वनि फैल नहीं पाती.

ध्वनि का परावर्तन (Reflection of Sound)

ध्वनि का परावर्तन (Reflection of Sound) प्रकाश के परावर्तन के समान है. जब कोई ध्वनि किसी कठोर सतह से टकराती है, तो वह वापस अपने स्रोत पर परावर्तित हो जाती है. ध्वनि के इस परावर्तन को प्रतिध्वनि (Echo) कहा जाता है. दूसरे शब्दों में, जब किसी स्रोत (Source) से उत्पन्न ध्वनि आगे जाकर किसी वस्तु जैसे दीवार, पहाड़ आदि से टकराकर फिर से स्रोत के पास वापस लौटती है, तो इसे प्रतिध्वनि कहते हैं.

यह ध्वनि के परावर्तन का परिणाम है जो कुछ देर बाद सोर्स के पास वापस पहुंच जाती है. प्रतिध्वनि ध्वनि का प्रतिबिम्ब है. जैसे कुंये में आवाज लगाने पर थोड़ी देर बाद अपनी ही आवाज सुनाई पड़ती है. यदि कोई स्थान बड़ा है, या घाटियों में या विशाल खाली कमरे जैसी जगहें जहाँ कई परावर्तक सतहें (Reflecting Surfaces) होती हैं, तो वहां हम ध्वनि के स्रोत (जहाँ से ध्वनि उत्पन्न होती है) से कई प्रतिध्वनियाँ सुनते हैं.

प्रतिध्वनि सुनने के लिए श्रोता और परावर्तक के बीच की दूरी कम-से-कम 17 मीटर होनी चाहिए. यदि दूरी इससे कम होगी, तो दोनो ध्वनियाँ मिल जायेंगी और प्रतिध्वनि नहीं सुनाई देगी.

कठोर सतहों में ध्वनि को प्रतिबिंबित (Reflect) करने की प्रवृत्ति होती है जबकि नरम सतहों में ध्वनि को अवशोषित (Absorb) करने और उन्हें शांत करने की प्रवृत्ति होती है. यदि ध्वनि तरंग की आवृत्ति (Frequency) कम है तो ध्वनि तरंग परावर्तित (Reflect) नहीं होगी.

ध्वनि तरंग विशेषताएँ (Sound wave Characteristics)

गिटार द्वारा उत्पन्न ध्वनि ड्रम द्वारा उत्पन्न ध्वनि से भिन्न होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग सोर्स से उत्पन्न ध्वनि की अलग-अलग विशेषताएँ होती हैं. ध्वनि को उसकी आवृत्ति, तरंग दैर्ध्य और आयाम (Frequency, Wavelength and Amplitude) द्वारा पहचाना जा सकता है.

ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal Waves) होती हैं. यह माध्यम में मौजूद कणों में कंपन करके फैलती है. अतः ध्वनि की चाल उस माध्यम के घनत्व (Density) पर निर्भर करती है जिससे ध्वनि की तरंग यात्रा कर रही है.

दो लगातार शिखरों या गर्तों के बीच की दूरी को तरंग की तरंग दैर्ध्य या अवधि (Wavelength or Period of the Wave) कहा जाता है. दूसरे शब्दों में, जब कोई तरंग कंपन या दोलन करती है तो एक दोलन या कंपन होने में कण जितनी दूरी तय करता है, उस दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते हैं. एक सेकंड में कण द्वारा कंपन या तरंग दैर्ध्य की संख्या को आवृति (Frequency) कहते हैं. जैसे- किसी तरंग में कोई कण एक सेकंड में 60 कंपन या दोलन करता है, तो उस तरंग की आवृति 60 होगी.

कोई वस्तु जितनी तेजी से कंपन करती है, यानी आवृत्ति जितनी अधिक होती है, ध्वनि की पिच उतनी ही अधिक होती है. महिला और पुरुष की आवाज में अंतर आपको साफ नजर आता होगा. पुरुष की आवाज की आवृत्ति कम होती है. इसके विपरीत, महिलाओं की आवाज अधिक आवृत्ति वाली होती है जिस कारण उनकी आवाज में अधिक तीखापन या पिच (Sharpness or Pitch) होती है.

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