Swastik Meaning in Hindi : स्वस्तिक का महत्व क्या है, स्वस्तिक के प्रयोग में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान

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Swastik Meaning in Hindi & Swastik Symbol Mantra Benefits-

Swastik Meaning in Hindi – भारत में प्राचीन काल से ही स्वस्तिक (Swastik) का प्रयोग होता आ रहा है. स्वस्तिक एक विशेष प्रकार की आकृति है, जिसे किसी भी कार्य शुभ कार्य की शुरुआत से पहले बनाया जाता है. स्वास्तिक बहुत महत्वपूर्ण चीज है. स्वस्तिक तीन शब्दों से मिलकर बना है- सु+अस+क, जहां ‘सु’ का अर्थ अच्छा, ‘अस’ का अर्थ ‘सत्ता’ या ‘अस्तित्व’ और ‘क’ का अर्थ ‘कर्त्ता’ या करने वाला है. इस तरह स्वस्तिक का अर्थ ही है- अच्छा या मंगल या कल्याण करने वाला. इसीलिए वैदिक काल से ही शुभ कार्यों में, अपने घर में, पूजा स्थान में, त्योहारों में स्वस्तिक का इस्तेमाल होता आ रहा है.

भगवान गणेश जी का स्वरूप है स्वस्तिक
स्वस्तिक को भगवान श्री गणेश जी (Bhagwan Ganesha) का भी स्वरूप माना जाता है. यानी जब हम स्वस्तिक का चिन्ह बनाते हैं, तो एक तरह से हम भगवान श्री गणेश का ही स्वरूप बना रहे होते हैं. स्वस्तिक का अर्थ होता है- कल्याण, विजय, सुख, समृद्धि. स्वस्तिक के सही प्रयोग से जीवन में संपन्नता, समृद्धि आती है और एकाग्रता की प्राप्ति होती है. किसी भी पूजा-उपासना में स्वस्तिक का प्रयोग करना बहुत अच्छा और जरूरी होता है.

स्वस्तिक मंत्र (Swastik Mantra)
स्वस्तिक मंत्र शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता है. स्वस्ति मंत्र का पाठ करने की क्रिया ‘स्वस्तिवाचन (Swastivachan)’ कहलाती है.

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

यह मंत्र किसी भी शुभ कार्य से पहले कार्य सफलता की संभावना को बढ़ाने के लिए, जैसे- विवाह के समय, गृहनिर्माण के समय, यात्रा के आरंभ में, व्यापार में लाभ के लिए, स्वास्थ्य लाभ के लिए, बच्चे के जन्म के समय, षोडश संस्कारों में, खेत में बीज डालते समय, पशुओं की समृद्धि के लिए बोला जाता है.

स्वस्तिक की महिमा
स्वस्तिक की महिमा बहुत ज्यादा है. यह ब्रह्मांड का भी प्रतीक चिन्ह माना जाता है. यह ऊर्जा का केंद्र होता है, इसका सही निर्माण और प्रयोग करना और इसका आदर करना बेहद जरूरी और अनिवार्य है. स्वस्तिक चारों दिशाओं से शुभ और मंगल को आकर्षित करता है. इसकी जो चार भुजाएं होती हैं, वे चारों दिशाओं से पॉजिटिव एनर्जी या शुभता को खींचकर केंद्रित करता है. इसीलिए स्वस्तिक का इस्तेमाल घर में पूजा स्थान में, अस्पतालों में, पढ़ने-लिखने की जगह पर किया जाता है.

स्वस्तिक का सही निर्माण और प्रयोग अनिवार्य
स्वस्तिक बेहद प्रभावशाली और शुभ होता है. अगर यह सही तरीके से बना हुआ हो, तो यह बहुत सारी पॉजिटिव एनर्जी पैदा करता है. यह ऊर्जा वस्तु या व्यक्ति की रक्षा या सुरक्षा में मदद करती है. यानी स्वस्तिक की चारों भुजाएं ठीक तरह से बनी रहनी चाहिए. स्वस्तिक की रेखाएं और कोण बिल्कुल सही होने चाहिए. स्वस्तिक में 90 डिग्री के कोण बने होते हैं और इनकी रेखाएं बिल्कुल सीधी-साफ और स्पष्ट होनी चाहिए. स्वस्तिक लाल या पीले रंग में बना होना चाहिए.

स्वास्तिक को उल्टा या टेढ़ा-मेढ़ा नहीं बनाना चाहिए, गलत तरीके से नहीं बनाना चाहिए, गलत चीजों पर या गलत जगह पर नहीं बनाना चाहिए, जैसे चादर पर, तकिए पर, या अपने पहनने के कपड़ों आदि पर स्वस्तिक नहीं बना होना चाहिए. भूलकर भी उल्टे स्वास्तिक का निर्माण और प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि सही और सीधा स्वस्तिक जीवन में जितना फायदा कराता है, गलत या उल्टा स्वस्तिक उतना ही नुकसान करवा देता है.

स्वस्तिक का प्रयोग कहां-कहां किया जा सकता है-
♦ अगर आप स्वस्तिक को धारण करना चाहते हैं, तो एक चांदी या सोने के गोले में उसके बीच में स्वस्तिक बनवाना चाहिए और फिर उसे लाल धागे में अपने गले में धारण करना चाहिए. यानी गले में धारण करने वाला स्वस्तिक गोले में बना होना चाहिए. वह गोला सोना या चांदी का हो सकता है.

♦ घर में जहां-जहां भी वास्तु दोष हो, या घर के मुख्य द्वार पर लाल रंग का स्वस्तिक बनाएं. यानी जैसे अगर आपके घर का रसोईघर ठीक जगह पर न बना हो, तो रसोईघर में एक लाल रंग का स्वस्तिक बनाएं. या अगर पूरे घर में बहुत सारे वास्तु दोष हैं, तो अपने घर के मुख्य द्वार पर लाल रंग का स्वस्तिक बनाएं.

♦ अपने घर के पूजा स्थान, पढ़ाई के स्थान और अपने वाहन, दुकानों पर, तिजोरी पर में स्वस्तिक बनाएं. अपने घर के इलेक्ट्रॉनिक सामान पर छोटे-छोटे स्वस्तिक बनाए जा सकते हैं.

♦ स्वस्तिक पर पैर रखना, स्वस्ति पर सिर रखना या स्वस्ति पर सर रखकर सोना बेहद नुकसानदेह होता है. भूलकर भी स्वस्तिक का अनादर बिल्कुल न करें.


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