International Yoga Day : योग का इतिहास क्या है, यह कितना पुराना है, अलग-अलग युग में योग का महत्व

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Yoga ka Itihas aur Vikas- योग (Yoga) की परंपरा तब से है, जब से सभ्यता है. योग का प्रारंभ भारत से हुआ. हमारे भारतवर्ष के वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग की शुरुआत हो चुकी थी. भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) में जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं में, जगह-जगह आज भी योगियों और तपस्वियों के निशान देखे जा सकते हैं. बस जरूरत है भारत के उस स्वर्णिम इतिहास को खोजने की.

योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया और प्राचीन कला है, जिसके जरिए शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का प्रयास किया जाता है. योग शब्द का अर्थ ही है ‘जुड़ना’. योग का लगातार सही तरीके से अभ्यास करते रहने से अपने भीतर की शक्तियों को बहुत बढ़ाया जा सकता है, साथ ही संसार की बड़ी से बड़ी उपलब्धियों को पाया जा सकता है. योग विद्या में भगवान शिव ‘आदि योगी’ और ‘आदि गुरु’ हैं.

bhagwan shiv

प्राचीन समय में योग-
(Yoga in Ancient Time India)

योग का वर्णन सबसे पहले वेदों में (Yoga in Vedas) मिलता है, जिन्हें सबसे प्राचीन साहित्य माना जाता है. वैदिक काल (Yoga in Vedic kaal) में एकाग्रता शक्ति को बढ़ाने और सांसारिक कठिनाइयों से पार पाने के लिए योग का अभ्यास किया जाता था. इस काल में यज्ञ और योग का बहुत ज्यादा महत्व था. और इसी से उस समय लोगों के तन-मन के साथ-साथ पूरा वातावरण शुद्ध रहता था. आश्रमों में ब्रह्मचर्य और वेदों की शिक्षा के साथ ही योग और शस्त्र की शिक्षा भी दी जाती थी.

वेदों के साथ-साथ रामायण, उपनिषदों, भगवद्‌गीता और महाभारत में योग के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलता है. बृहदारण्यक उपनिषद (Brihadaranyaka Upanishad) में वर्णित प्रसिद्ध संवाद ‘योग याज्ञवल्क्य’ में ऋषि याज्ञवल्क्य और महान प्राकृतिक दार्शनिक, वेदों की प्रसिद्ध व्याख्याता गार्गी के बीच कई तरह से सांस लेने संबंधी व्यायाम, शरीर की सफाई के लिए आसन और ध्यान का जिक्र है. छांदोग्य उपनिषद में भी गार्गी द्वारा योगासन के बारे में बात की गई है.

भगवद्गीता (Yoga in Bhagavad Gita) में ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्मयोग और राज योग की चर्चा मिलती है. भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अर्जुन को योग का महत्व बताते हुए भक्तियोग, कर्मयोग और ज्ञानयोग का वर्णन करते हैं.

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पतंजलि का योगसूत्र-
(Yoga in Patanjali Yoga sutra)
प्राचीन भारत के एक मुनि, महान चिकित्सक और ‘चरक संहिता’ के प्रणेता पतञ्जलि ने वेदों में बिखरी योग विद्या को पहली बार समग्र रूप (Holistic form) में प्रस्तुत किया. उनकी महानतम रचना योगसूत्र (योगदर्शन का मूलग्रन्थ) संस्कृत में लिखे गए लगभग 195 सूत्रों का संग्रह है. इस ग्रंथ में पतंजलि ने योग को आठ अंगों (अष्टांग) के रूप में वर्णित किया है. वे अष्टांग हैं- यम (संयम), नियम (पालन), आसन (योग मुद्राएं), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों को वापस लेना), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (ध्यान) और समाधि (अवशोषण).

आधुनिक काल में योग-
(Yoga in India and World)
आधुनिक समय में योगसूत्र को लगभग भुला दिया गया था, तब इस काल में रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद, स्वामी विवेकानंद, रमण महर्षि आदि जैसे गुरुओं ने पूरे विश्व में योग के विकास और उसे लोकप्रिय बनाने में योगदान दिया. स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) ने शिकागो के धर्म संसद में अपने ऐतिहासिक भाषण में योग का उल्लेख कर पूरे संसार को योग से परिचित कराया.

इंटरनेशनल योगा डे-
11 दिसंबर 2014 को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा (United Nations General Assembly) में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे 175 देशों ने बिना किसी मतदान के अपना समर्थन दिया. 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है और योग से भी आयु बढ़ती है, इसलिए इस दिन को योग दिवस मनाने के लिए चुना गया. UN ने योग के महत्व को स्वीकार करते हुए माना कि, “योग मानव स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में एक सम्पूर्ण नजरिया है.”

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आज दुनिया में योग-
योग दुनिया को हमारे भारत की तरफ से दिया गया एक अमूल्य उपहार है. देश में हर साल आने वाले बहुत से सैलानी योग सीखने और इसका अभ्यास करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं. इसने दुनियाभर में योग की प्राचीन भारतीय प्रथा की लोकप्रियता को भी दिखाया. वर्तमान में, दुनियाभर में योग (Yoga in World) के 300 मिलियन से ज्यादा अभ्यासी हैं. लगभग 50 प्रतिशत चिकित्सक भारतीय मूल के हैं. आज योग स्पेन, अमेरिका, पुर्तगाल, इंडोनेशिया, मोरक्को, यूके, कोस्टा रिका, इटली आदि जैसे अलग-अलग देशों में लोकप्रिय है.

वर्तमान भारत में योग-
योग से होने वाले फायदों की वजह से ही आज योग विदेशों में भी प्रसिद्ध है. आज भारत के कई राज्यों में योग पर ध्यान दिया जा रहा है. इसमें सबसे आगे है उत्तराखंड राज्य (Uttarakhand), जिसकी पवित्र नगरी ऋषिकेश (Yoga in Rishikesh) को ‘योग नगरी’ के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि, प्राचीन काल के योगासनों में और वर्तमान योगासनों में काफी अंतर आ चुका है.

वर्तमान समय में लोग अपनी बिजी लाइफस्टाइल के बीच संतोष पाने, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए योग का अभ्यास करते हैं. योग दिमाग और शरीर को ताकत देता है. आज जो लोग मोटापे या बढ़ते वजन से परेशान हैं, उनके लिए रोजाना योग का अभ्यास बहुत फायदेमंद है.

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About Sonam Agarwal 238 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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