सूर्य को अर्घ्य देने की विधि और फायदे : सूर्य को जल चढ़ाने और आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ के नियम

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सूर्य को जल चढ़ाने के नियम और फायदे

How to offer water to Sun-

सूर्य (Sun) पूरी सृष्टि की ऊर्जा और प्रकाश का कारण हैं. सूर्य से ही सेहत है, राज्य-पद-प्रतिष्ठा है, औषधि और खाद्य पदार्थ हैं. सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है. सूर्य हमारे सौर परिवार का मुखिया है, यानी पूरे सौर परिवार (Solar System) को यह अपने एक सूत्र में बांधे रखते हैं. सूर्य पृथ्वी पर हर एक गतिविधि का कारण है. सूर्य के बिना पृथ्वी पर न जीवन है, न ज्योतिष की गणना है, ना धर्म है, न भाग्य है… इसलिए भगवान सूर्य का आदर करना और उनकी उपासना करना हर एक व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

वहीं, आप सुबह-सुबह की सूर्य की रोशनी में जितना ज्यादा रहते हैं आपकी सेहत भी उतनी ही अच्छी होती है. ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण सूर्य देव ही हैं. अगर सूर्य देव की रोज विधिवत उपासना की जाए, तो कठिन से कठिन रास्ते और बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं. ज्योतिष के अनुसार, अगर कुंडली में सूर्य मजबूत होता है तो बाकी सभी ग्रह भी अच्छे रहते हैं.

ज्योतिष के अनुसार, अगर आपकी कुंडली में सूर्य मजबूत है, तो आपको नाम यश राज्य पद धन-संपत्ति मिलने से कोई नहीं रोक सकता. वहीं, अगर कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, तो व्यक्ति का तेज समाप्त हो जाता है, व्यक्ति जीवन में साधारण स्तर पर ही रह जाता है, साथ ही उसे सरकारी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है.

♦ ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में सूर्य को बलवान करने का सबसे सरल और सबसे बड़ा तरीका है- सूर्य को जल चढ़ाना या सूर्य को अर्घ्य देना (Offering water to Sun). रोज सूर्योदय के समय सूर्य को विधिवत अर्घ्य देने या जल चढ़ाने से जीवन की हर समस्या का समाधान किया जा सकता है. सूर्य को जल चढ़ाने का धार्मिक महत्व भी है और वैज्ञानिक महत्व भी.

♦ जब हम सूर्य को जल चढ़ाते हैं, तो जल सूरज की रोशनी और हमारे बीच से होकर नीचे गिरता है. उस जल के माध्यम से सूर्य की रोशनी किसी प्रिज्म की तरह सात रंगों में टूटकर हमारे शरीर में प्रवेश करती है. इस तरह बल-ऊर्जा प्राप्ति के लिए और रंग-चिकित्सा की नजर से भी सूर्य को अर्घ्य देना बेहद लाभदायक और जरूरी है.

सभी देवी-देवता जब-जब धरती पर आए हैं, उन्होंने सूर्य देव की उपासना से सम्बंधित सभी धर्म ठीक से निभाए हैं और पूरी मानव जाति को सूर्य की उपासना करने का महत्व बताया है. जैसे-

हे सूर्य देव, हे तेजपुंज, हे ज्योतिर्मय, हे तिमिर हरण
हे कमल विकासन, सर्वोच्चासन, रोग दोष दुःख दूर करण
आदित्य, दिवाकर, अंशुमान, रवि आदि तुम्हारे संबोधन
हे सूर्यवंश के मूल नाथ, तव राम करें शत कोटि नमन


सूर्य को अर्घ्य देने या जल चढ़ाने का तरीका-
(How to offer Arghya/water to Sun)

सूर्य को अर्घ्य देने के दो तरीके होते हैं-
♦ पहला नदी में स्नान करते समय हाथ में जल लेकर सूर्य को अर्घ्य दिया जा सकता है… और दूसरा घर पर ही रहकर सूर्य को अर्घ्य दिया जा सकता है. ज्योतिष के अनुसार, सूर्य को सादा जल चढ़ाना सर्वोत्तम है.

♦ उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना सर्वोत्तम होता है यानी जब सूर्य उदय हो रहे होते हैं और वह लाल रंग के दिखाई देते हैं, उस समय अगर सूर्य को जल चढ़ाया जाए तो यह बहुत ही अच्छा होता है.

♦ इसके अलावा, जब तक सूर्य की किरणें चुभती नहीं यानी गर्मियों में ज्यादा से ज्यादा सुबह 8 बजे तक सूर्य को अर्घ्य दिया जा सकता है. जब सूर्य की रोशनी तेज हो जाती है, उस समय सूर्य को जल देना ठीक नहीं होता.

♦ सूर्य को जल देने से पहले स्नान कर लेना जरूरी होता है. सूर्य को जल चढ़ाते समय अगर सफेद वस्त्र पहने जाएं तो और भी अच्छा है. तांबे पीतल स्टील या कांसे के लोटे से या मिट्टी के किसी पात्र से सूर्य को जल चढ़ाया जा सकता है.

♦ अगर सूर्य को जल चढ़ाने के बाद कोई मंत्र जप किया जाता है जैसे- सूर्यदेव का ही कोई मंत्र या गायत्री मंत्र या किसी और देवी-देवता का मंत्र या हनुमान चालीसा आदि का पाठ कर लिया जाता है तो बहुत ही अच्छा होता है.

♦ अगर सूर्य को जल चढ़ाते समय पैरों पर छींटे पड़ जाते हैं तो इसमें कोई दोष नहीं माना जाता है. फिर भी अगर मन में अच्छा नहीं लगता है तो सूर्य को अर्घ्य देने से पहले अपने सामने कोई बाल्टी या टब आदि रख लें और उसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें. अर्घ्य देने के बाद जो जल उस बाल्टी या टब में इकठ्ठा हो जाए, उसे आप पेड़-पौधों में डाल सकते हैं.

♦ सूर्य को जल चढ़ाते समय लोटे या पात्र या पाने हाथों को अपने सिर से ऊपर रखना चाहिए. सूर्य देव को जल चढ़ाते समय उनके कुछ मंत्रों का जप किया जाना अच्छा होता है, जैसे-

ॐ घृणि सूर्याय नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ सूर्याय नमः
ॐ दिवाकराय नमः
ॐ मित्राय नमः
ॐ रवये नमः
ॐ भानवे नमः
ॐ सवित्रे नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ खगाय नमः
ॐ पूष्णे नमः
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
ॐ मरीचये नमः

♦ रविवार को शाम के समय सुंदरकांड का पाठ करना या मन लगाकर सुनना बहुत ही अच्छा होता है.

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सूर्य को अर्घ्य देते समय जल में कौन-कौन सी चीजें मिलाई जा सकती हैं-

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य को सादा जल ही चढ़ाना सर्वोत्तम है. जीवन में हर चीज को ठीक करने के लिए सूर्य को सादा जल ही चढ़ाना चाहिए. रोजाना सुबह-सुबह सूर्योदय के समय मंत्रोच्चारण के साथ सूर्य को सादा जल से अर्घ्य देने से सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती है, साथ ही नाम-यश, धन-संपत्ति में वृद्धि की जा सकती है. सादा जल के आलावा, सूर्य को अर्घ्य देते समय कुछ विशेष प्रयोग भी किए जा सकते हैं.

शिक्षा और एकाग्रता की प्राप्ति के लिए जल में चुटकीभर नीला रंग के मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दिया जा सकता है.
स्वास्थ्य और ऊर्जा की प्राप्ति के लिए जल में रोली या लाल चंदन मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.
जल्द विवाह और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए जल में हल्दी मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.
किसी इंटरव्यू या प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिए जल में गुड़हल के फूल मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए.
पूर्वजों की शांति के लिए जल में चुटकीभर काला तिल और चुटकीभर अक्षत मिलाकर अर्घ्य दिया जाता है.
पितर शांति और बाधा के निवारण के लिए जल में तिल और अक्षत मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.

आदित्य हृदय स्रोत क्या है और इसकी महिमा

आदित्य हृदय स्त्रोत (Aditya Hridaya Stotra) का वर्णन श्रीवाल्मीकि रामायण के युद्धकांड (६|१०५) से मिलता है. भगवान श्रीराम को युद्ध में विजय प्राप्त कराने के लिए श्री अगस्त्य ऋषि द्वारा इस स्रोत का वर्णन किया गया था. महर्षि अगस्त्य ने भगवान श्रीराम जी से कहा था कि अगर आप आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करेंगे, तो युद्ध में आपकी विजय निश्चित है.

इसीलिए सूर्य के समान तेज प्राप्त करने और मुकदमों या युद्ध में शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ अमोघ है. किसी मुकदमे में विजय प्राप्त करने के लिए, या किसी असाध्य रोग से मुक्ति पाने के लिए, या हड्डियों, आंखों के रोगों से छुटकारा पाने के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ बहुत लाभदायक और कारगर है.

आदित्य हृदय स्रोत के पाठ के विशेष नियम-
(Aditya hridaya stotra path ke niyam)-

• आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ रविवार को उषाकाल में किया जाता है, यानी जब सूर्य उदय हो रहे होते हैं तब.

• स्नान करके सबसे पहले सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और इसके बाद सूर्य के सामने बैठकर स्त्रोत का पाठ करें.

• पाठ करने के बाद भगवान सूर्य से अपनी मनोकामना कहें.

• आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने वालों को मांस-मदिरा आदि से बिल्कुल दूर रहना चाहिए और रविवार को तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

♦ अगर आप कुछ कारणों से सूर्य को रोज अर्घ्य नहीं दे सकते, जैसे कि आपके घर से सूर्य दिखाई नहीं देता है, या आपकी नौकरी-ड्यूटी का टाइम ही ऐसा है, तो ऐसे में आपको रोज सुबह किसी भी स्थान पर जाकर 5 मिनट के लिए सूर्य की रोशनी में जरूर खड़ा होना चाहिए और उन्हें प्रणाम करना चाहिए, साथ ही हर रविवार को किसी भी स्थान पर जाकर, जहां से सूर्य के दर्शन हो सकते हैं, वहां जाकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.

♦ सूर्य का रत्न माणिक्य धारण करने से विशेष लाभ पाए जा सकते हैं.

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About Sonam Agarwal 238 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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