कहानियां अनेक संदेश एक, जानिए क्यों मनाते हैं दीपावली और क्या है महत्व

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Deepawali Festival

Deepawali Festival

भारत विविधताओं से भरा देश है, जहां दुनियाभर की संस्कृतियां निवास करती हैं. इस देश में हर मौसम और हर धर्म किसी न किसी पर्व, उत्सव या त्योहार को लेकर आता है. त्योहार जीवन का उल्लास हैं जो सबको एकजुट कर जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आते हैं, जीवन के तमाम दुखों को भुलाकर खुशियां मनाने का अवसर लेकर आते हैं. त्योहारों से ही हमारी संस्कृति महकती है. इन्हीं सुंदर त्योहारों में से एक है कार्तिक मास (Kartik Maas) की अमावस्या को मनाई जाने वाली दीपावली.

दीपावली (Deepawali) प्रकाश का उत्‍सव है, जो सत्‍य की जीत और आध्‍यात्मिक अज्ञान को दूर करने का प्रतीक है. दिवाली में अमावस्या की काली रात भी रोशन हो जाती है, इसलिये दिवाली को प्रकाश का उत्सव कहा जाता है. दिवाली दीपों का त्यौहार है, इसलिए इसे दीपोत्सव कहते हैं. जहां एक तरफ यह त्योहार अंधकार को मिटाकर चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश फैला देता है तो वहीं, सुख-समृद्धि की कामना के लिये भी दिवाली से बढ़कर कोई त्योहार नहीं.

दीपावली ‘एक’ नहीं है

दिवाली का त्योहार अकेले नहीं आता, अपने साथ कई उत्सव लेकर आता है. दिवाली केवल भारत में ही नहीं मनाई जाती, धनतेरस से भाई दूज तक करीब 5 दिनों तक चलने वाला यह त्योहार भारत और नेपाल समेत दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है. दिवाली केवल एक ही संदेश लेकर नहीं आती; बुराई पर अच्छाई की जीत, असत्य पर सत्य की विजय के साथ यह त्योहार मर्यादा, सत्य, कर्म और सद्भावना का भी संदेश लेकर आता है.

दिवाली एक ही देवी या देवता को समर्पित त्योहार नहीं है, माता लक्ष्मी, भगवान गणेश जी, माता सरस्वती, मां काली, भगवान कुबेर, हनुमान जी, भगवान श्री कृष्ण, भगवान धन्वंतरि और भगवान यमराज दिवाली के दौरान पूजा के सबसे प्रमुख नाम हैं.

अनेक कहानियों का एक संदेश

दिवाली (Diwali) से जुड़ी एक कहानी नहीं है, कई कथाएं और धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं. शास्त्रों और कथाओं में दिवाली मनाने के अलग-अलग कारणों के बारे में बताया गया है. साधारणत: अधिकतर लोग दीपावली मनाने का कारण भगवान श्रीराम के 14 वर्ष का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटने को मानते हैं, लेकिन इसके अलावा भी यह त्योहार इतिहास या युगों की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है.

जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी (Shri Ram) लंकापति राक्षस रावण का वध करके और चौदह वर्ष का वनवास काटकर कार्तिक अमावस्या के दिन सीताजी और लक्ष्मणजी के साथ अयोध्या लौटे थे, तब उनके आगमन की खुशी पर सभी लोगों ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था. तभी से दिवाली की शुरुआत हुई.

कई लोग दीवाली को धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी (Mata Lakshmi) से जुड़ा हुआ मानते हैं. कार्तिक की अमावस्या को ही मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से धरती पर प्रकट हुई थीं और भगवान विष्णु को पति के रूप में स्वीकार किया था. दिवाली को मनाने की सबसे खास वजह यही है. इस त्योहार को मां लक्ष्मी के स्वागत के रूप में मनाया जाता है. कुछ लोग दीपावली को भगवान विष्णु की वैकुण्ठ में वापसी के दिन के रूप में भी मनाते हैं. समुद्रमंथन से इसी दिन आरोग्य प्रदान करने वाले देवता भगवान धन्वंतरि (Dhanvantari) भी प्रकट हुए थे.

इसी दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और देवराज इंद्र ने स्वर्ग को सुरक्षित पाकर खुशी से दिवाली मनाई थी. वहीं, एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारणकर हिरण्यकश्यप नाम के राक्षस का वध किया था.

कार्तिक महीने में ही भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध कर 16,000 स्त्र‍ियों को उसके बंधन से मुक्त कराया था. समाज में उन सभी स्त्रियों को सम्मान दिलाने और उन सभी की प्रार्थना पर, अपने अलग-अलग रूपों में प्रकट होकर उन सभी से विवाह भी रचाया था. इसी खुशी में दीपावली का त्योहार दो दिन तक विजय पर्व के नाम से मनाया गया था.

महाभारत के अनुसार जब कार्तिक मास की अमावस्या को ही पांचों पांडव अपना 12 वर्ष का अज्ञातवास समाप्त कर इसी दिन वापस लौटे थे, तब उनके लौटने की खुशी में दीप जलाकर दिवाली मनाई गई थी. दिवाली मनाने के पीछे ना जाने ऐसी कितनी ही कहानियां हैं, लेकिन सब कहानियों का एक ही मूल संदेश है कि असत्य की उम्र सत्य से कम होती है. दिवाली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है.

दीपावली का महत्व

दीपावली भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में दीपाली का महत्व सबसे अधिक है. दिवाली भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है और झूठ का नाश होता है. ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ के रूप में यह उपनिषदों की आज्ञा है.

दीवाली भारत में एक प्रमुख खरीदारी की अवधि का प्रतीक है. यह प्रकाश के साथ स्वच्छता का भी महत्व बताती है. अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय के साथ दीवाली नए हिंदू वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है. इस त्योहार को सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं. वहीं, ज्योतिष के अनुसार, दीपावली पर ग्रहों की दिशा, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति उत्तम फल देने वाली होती है.

यह भी माना जाता है कि दीपावली की रात को माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और जो भी दीवाली पर भगवान विष्णु (Shri Vishnu) का पूजन करता है, उस पर लक्ष्मी जी की विशेष कृपा होती है. इसलिए लोग दिवाली की रात को मां का स्वागत करने के लिए अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों को खुला छोड़ देते हैं ताकि मां का आगमन हो सके. इसीलिए सुख-समृद्धि की कामना के लिए दिवाली सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार है.

Read Also : भारत के व्रत-त्यौहार और पौराणिक कथायें


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