Peepal Tree Importance : पीपल का महत्त्व और पीपल की पूजा के चमत्कारी फायदे

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Peepal Tree Benefits

हमारी भारतीय संस्कृति में प्रकृति के सभी तत्वों की पूजा का प्रचलन और महत्त्व है, क्योंकि हम यह मानते हैं कि प्रकृति ही ईश्वर की पहली प्रतिनिधि है. 

जीवन के लिए वृक्षों का महत्त्व (Importance of Trees) कौन नहीं जानता. पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए उचित मात्रा में पेड़-पौधों का होना बेहद जरूरी है. वृक्ष केवल हमारे वातावरण को ही शुद्ध नहीं करते, हमें आहार और उपयोगी वस्तुएं ही नहीं देते, ये सभी छोटे-बड़े जीवों को आश्रय भी देते हैं. आज हम यहाँ पीपल के महत्त्व के बारे में बात करेंगे-

हमारे भारत में या भारतीय संस्कृति में पीपल (Peepal) को सबसे पवित्र वृक्ष माना जाता है. ऐसा क्यों? दरअसल, हमारे यहाँ परम्पराओं को भले ही आज अन्धविश्वास से जोड़कर देखा जाता हो, लेकिन हर चीज के पीछे एक वैज्ञानिक कारण जरूर है.

पीपल का धार्मिक महत्त्व- यदि धर्म की नजर से देखें तो पीपल को मुख्य रूप से भगवान् विष्णु और श्रीकृष्ण से जोड़कर देखा जाता है. श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है कि, “सभी वृक्षों में मैं पीपल हूँ.” भगवान ने अपनी उपमा देकर पीपल के देवत्व और दिव्यत्व को व्यक्त किया है.

यह भी माना जाता है कि पीपल में सभी देवी-देवताओं का निवास होता है, इसलिए यह वृक्ष बहुत पवित्र माना जाता है और इसकी पवित्रता भी बनाए रखनी चाहिए. इसे काटा नहीं जाना चाहिए. इसकी वृद्धि करने से सकारात्मकता में वृद्धि होती है.

तुलसीदास जी को हनुमान जी के दर्शन पीपल में रोज जल चढ़ाने के कारण हुए थे. यहां कहने का मतलब है कि यदि हम प्रकृति का ध्यान रखते हैं, तो प्रकृति भी हमारा ध्यान रखती है और फिर किसी न किसी रूप में हमारी कोई इच्छा या मनोकामना भी पूरी होती है. हर एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में एक पीपल का पौधा जरूर लगाना चाहिए.

पीपल का वैज्ञानिक महत्त्व- अब यदि हम विज्ञान की नजर से देखें तो यह तो हम सबको पता ही है कि पीपल सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों में से एक है. यह वायु को शुद्ध करता है. इसी के साथ, पीपल में बहुत सारे औषधीय गुण भी पाए जाते हैं, जिनकी पूरी जानकारी आज हमें नहीं है. इसीलिए धर्म की सहायता से पीपल का विशेष ध्यान रखने और उसकी वृद्धि करने की सलाह दी जाती है.

पीपल भारत, नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया और चीन में पाया जाने वाला गूलर या बरगद की प्रजाति का वृक्ष है. पीपल को स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी माना गया है. पीपल की टहनी, लकड़ी, पत्तियों, कोपलों और सीकों का प्रयोग पीलिया, रतौंधी, फुंसी, रक्तपित्त, रक्तविकार, चर्मरोग, खाज-खुजली, मूत्रविकार, आँखों और दांतों के रोगों, मलेरिया, खाँसी, दमा और सर्दी, सिरदर्द आदि में होता आया है. अथर्ववेद के उपवेद आयुर्वेद में, अनेक असाध्य रोगों में पीपल के औषधीय गुणों का उपयोग वर्णित है.

पीपल का शनि से सम्बन्ध- पीपल और शनि देव में कई समानताएं हैं, जिस वजह से पीपल को शनि देव से भी जोड़कर देखा जाता है. जैसे शनि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपना रास्ता निकाल लेता है, उसी प्रकार पीपल भी कैसी भी स्थिति या जगह से निकल आता है और कठिन परिस्थिति में भी जमा रहता है. दूसरा, शनि भगवान् श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं, और पीपल को भी भगवान् श्रीकृष्ण का ही रूप माना गया है. पीपल की सेवा करने से शनि की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है.

पीपल की पूजा करने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व-

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पीपल एक दीर्घायु वृक्ष है. यह वृक्ष बड़े लम्बे काल तक जीवित रहता है. अतः इनकी पूजा करने जैसे इन्हें जल चढ़ाने, इनका ध्यान रखने और इनके नीचे दीपक जलाने आदि से लम्बी आयु और वंश वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. पीपल के संपर्क में रहने से कई तरह के रोग भी दूर हो जाते हैं. जैसे सुबह के समय पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर प्राणायाम करने या ध्यान-योग आदि करने से शरीर को कई तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं.

पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित शिवलिंग या किसी देवता की उपासना का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. पीपल के पेड़ के नीचे मंत्र, जप और ध्यान तथा सभी प्रकार के संस्कारों को बहुत शुभ माना गया है.

पीपल के पेड़ के नीचे खड़े होकर या बैठकर शनि मंत्र (ॐ शं शनैश्चराय नमः) का जप करने और हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत अच्छा होता है.

पीपल को लगाने से और उसकी देखभाल करने से शनि की दशाओं का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की भी कृपा प्राप्त होती है.

पीपल का पेड़ आप कहीं भी लगा सकते हैं, जैसे पार्क में या मंदिर में, या अपने घर के आसपास, जहाँ किसी को कोई परेशानी न हो. लगाने के बाद इसकी देखभाल भी जरूर करें. आप पीपल के कई पेड़ लगवा सकते हैं.

किसी कठिन समस्या से मुक्ति पाने के लिए, चमेली के तेल में सिन्दूर मिलाकर इससे पीपल के एक पत्ते में चिकने वाले हिस्से में “श्रीराम” लिखें और इस पत्ते को हनुमान जी को चढ़ा दें. चढ़ाते समय ‘जय श्रीराम’ या ‘जय सीताराम’ नाम का जप करें.

हर शनिवार की शाम को सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने और पीपल की परिक्रमा करने से शनि-पीड़ा से मुक्ति मिलती है.

वास्तु के अनुसार पीपल को लेकर कुछ नियम

पीपल का पेड़ बहुत शुभ होता है, लेकिन इसका घर में उगना अशुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पीपल का पेड़ नहीं होना चाहिए. ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि पीपल की जड़ें बड़ी जल्दी और मजबूती से फैलती हैं, जिससे घर की दीवारों में दरारें आ सकती हैं और कोई समस्या भी खड़ी हो सकती है. इसीलिए इसे घर के पास नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि बड़ा हो जाने पर किसी हरे-भरे और उपयोगी पेड़ को काटना भी अच्छा नहीं होता.

इसलिए यदि आपके घर में या घर के बिल्कुल पास में पीपल का पेड़ उग आया है तो उसे थोड़ा सा बड़ा होने दें. इसके बाद इसे मिट्टी सहित खोदकर या सावधानी से इसे जड़ सहित निकालकर किसी दूसरी जगह पर लगा सकते हैं. ऐसा करने से यह पेड़ नष्ट नहीं होगा और दूसरी जगह यह अच्छी तरह से बड़ा भी हो जाएगा.

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