What is an Exoplanet : एक्सोप्लैनेट क्या हैं, ये कहां पाए जाते हैं और इनका पता कैसे लगाया जाता है?

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What is Exoplanet (Meaning)

हमारे सौरमंडल (Solar System) का राजा सूर्य (Sun) है. सूर्य एक तारा है. पृथ्वी सहित आठ ग्रह या प्लैनेट (Planets) सूर्य की परिक्रमा करते हैं. इन आठों ग्रहों की ऊर्जा और प्रकाश का मुख्य स्रोत हमारा सूर्य ही है. लेकिन इस सौरमंडल के बाहर भी बहुत से ग्रह-उपग्रह हैं, जो सूर्य की बजाय किसी और ही तारे की परिक्रमा करते हैं. ऐसे ग्रहों को बहिर्ग्रह या एक्सोप्लैनेट (Exoplanets) कहते हैं.

यानि एक्सोप्लैनेट (Exoplanets) वे ग्रह हैं जो हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं. एक्सोप्लैनेट को एक्स्ट्रासोलर ग्रह (Extrasolar Planets) भी कहा जाता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ एक्सोप्लैनेट में पृथ्वी के समान जीवन की संभावनाएं हो सकती हैं. वैज्ञानिकों ने अब तक जितने भी एक्सोप्लैनेट का पता लगाया है, उनमें से ज्यादातर एक्सोप्लैनेट हमारी गैलेक्सी मिल्की-वे (Milky Way Galaxy) में स्थित हैं.

जरा सोचिये

हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे सितारों की मोटी धारा की तरह है. इस सर्पिलाकार ‘गंगा’ में कम से कम 100 अरब तारे हैं, जिनमें हमारा सूर्य भी शामिल है. जरा सोचिये, अगर इन सभी अरबों तारों का परिवार भी हमारे सूर्य के परिवार जितना ही बड़ा हो, तो हमारी आकाशगंगा में कितने ग्रह होंगे!

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पहले एक्सोप्लैनेट की खोज 1990 के दशक में की गई थी और तब से अलग-अलग प्रकार के ‘पता लगाने के तरीकों’ का इस्तेमाल करके हजारों एक्सोप्लैनेट की पहचान की जा चुकी है. अब तक खोजे गए ज्यादातर एक्सोप्लैनेट हमसे सैकड़ों या हजारों प्रकाश वर्ष दूर हैं.

एक्सोप्लैनेट का पता कैसे लगाया जाता है?
(How are Exoplanets Detected)

टेलीस्कोप से एक्सोप्लैनेट का सीधे पता लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि वे उन तारों के करीब होते हैं जिनकी वे परिक्रमा करते हैं. तारों की चमक इन्हें आसानी से पहचाने जाने से रोकती है. एक्सोप्लैनेट का पता पारगमन विधि (Transit method) या डॉपलर स्पेक्ट्रोस्कोपी (Doppler spectroscopy) द्वारा लगाया जाता है.

एक्सोप्लैनेट डिटेक्शन की ट्रांजिट मेथड क्या है?

जब कोई ग्रह अपने तारे के सामने से गुजरता है तो उसे गोचर या ट्रांजिट (Transit) कहते हैं. जब भी कोई ग्रह अपने तारे के सामने से निकलता है, तो थोड़ी मात्रा में उस तारे का प्रकाश बाधित होता है, यानी उतने समय के लिए तारे की चमक में कमी आ जाती है.

खगोल वैज्ञानिक (Astronomers) तारे की चमक में बदलाव का पता लगा सकते हैं, जिससे उन्हें ग्रह के आकार (साइज) का मूल्यांकन करने में मदद मिलती है. ट्रांजिट के बीच के समय का अध्ययन करके तारे से एक्सोप्लैनेट की दूरी का पता लगाया जा सकता है.

वहीं, एक्सोप्लैनेट डिटेक्शन की डॉपलर स्पेक्ट्रोस्कोपी विधि को वॉबल मेथड ऑफ डिटेक्शन भी कहा जाता है. यह एक्सोप्लैनेट का पता लगाने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है. यह विधि रेडियल वेग में आवधिक बदलाव (Periodic shifts) का उपयोग करती है. यह तरीका एक्सोप्लैनेट मूल तारे के स्पेक्ट्रम में बदलाव का एनालिसिस करता है.

निकटतम एक्सोप्लैनेट कौन सा है-
(Nearest Exoplanet)

पृथ्वी जैसा एक एक्सोप्लैनेट प्रॉक्सिमा बी (Proxima b) हमारे सौरमंडल के सबसे निकट के तारे प्रॉक्सिमा सेंचुरी (Proxima Centauri) की परिक्रमा करता है. यह एक्सोप्लैनेट प्रॉक्सिमा सेंचुरी के गोल्डीलॉक जोन में परिक्रमा करता है.

प्रॉक्सिमा बी एक्सोप्लैनेट की मुख्य विशेषताएं- प्रॉक्सिमा-बी हमारी पृथ्वी से लगभग 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है. इसका एक साल केवल 11 दिन का होता है. यह एक्सोप्लैनेट शीतोष्ण क्षेत्र में है जो द्रव जल की मौजूदगी के लिए उपयुक्त है. पृथ्वी की सूर्य से निकटता की तुलना में, यह एक्सोप्लैनेट अपने तारे से 25 गुना ज्यादा नजदीक है, लेकिन इसके तारे (प्रॉक्सिमा सेंचुरी) का आकार हमारे सूर्य की तुलना में केवल 12% है और इसकी चमक भी कम है, इसलिए प्रॉक्सिमा-बी पर जीवन की संभावनाएं नहीं हैं.

दो तारों की परिक्रमा करने वाले ग्रह
(Planets orbiting two Stars)

ऐसे ग्रह जो 2 तारों की परिक्रमा करते हैं, उन्हें ‘सर्कमबाइनरी ग्रह’ (Circumbinary Planets) के रूप में जाना जाता है. नासा के स्पेस टेलीस्कोप से बृहस्पति जैसे एक ग्रह केपलर 1647बी की खोज की गई है, जो एक साथ दो तारों की परिक्रमा करता है. यह अब तक का खोजा गया सबसे बड़ा ट्रांजिटिंग सर्कमबाइनरी ग्रह है.

सिग्नस तारामंडल में स्थित केपलर 1647बी लगभग 3,700 प्रकाश वर्ष दूर है और करीब 4.4 वर्ष पुराना है. इस तरह इसकी आयु पृथ्वी की आयु के बराबर ही हो सकती है. बृहस्पति की तरह केपलर 1647बी एक विशाल गैसीय पिंड है, जिससे इस ग्रह पर जीवन की संभावनाएं नहीं हैं.

दुष्ट ग्रह किसे कहते हैं-
(Free-floating exoplanets)

कुछ ग्रह किसी भी तारे की परिक्रमा नहीं करते हैं. ऐसे ग्रह आकाशगंगा के एक परमानेंट अंधेरे में घूमते रहते हैं या गांगेय केंद्र (Galactic Center) की परिक्रमा करते हैं. ऐसे ग्रहों को फ्री-फ्लोटिंग एक्सोप्लैनेट (Free-floating exoplanets) या ‘दुष्ट ग्रह’ (Rogue Planets) कहा जाता है. ये किसी भी तारे से जुड़े नहीं होते हैं.


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About Sonam Agarwal 238 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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